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बांसवाड़ा : शौक से दूल्हों को चढ़वा रहे घोड़ी, पालकों के पास कमाई के नाम पर सिर्फ कोड़ी

locationबांसवाड़ाPublished: Jun 01, 2018 02:10:27 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

खर्च के आगे कमाई नाममात्र, शादी के अलावा नहीं होता कोई उपयोग, घोड़ों और घोड़ी के रखरखाव में महीने में हजारों का खर्च

banswara

बांसवाड़ा : शौक से दूल्हों को चढ़वा रहे घोड़ी, पालकों के पास कमाई के नाम पर सिर्फ कोड़ी

बांसवाड़ा. शादी-बारातों की तैयारियों में अहम नाम आता है बारात के समय दूल्हे को बैठाने के लिए घोड़ी का। जिसे बुक करने की कवायद महीनों पहले से होने लगती है। लेकिन सावों के चंद दिनों के बाद न तो घोड़ी की पूछ और न ही घोड़ी पालकों की। और यही वो दिन होते हैं जो इन पालकों के लिए किसी कठिनाई से कम नहीं। सावों में व्यस्त रहने वाले ये घोड़ा पालक इस कठिन दौर में आर्थिक रूप से भी टूटने लगते हैं। इन्हीं घोड़ा पालकों की आर्थिक स्थिति को लेकर विशेष रिपोर्ट –
जिले में एक-दो बड़े पालक भी
वैसे तो अधिकांश घोड़ा पालकों के पास दो-तीन घोडिय़ां या घोड़े हैं। लेकिन कुछ एक घोड़ा पालक ऐसे भी हैं। जिनके पास 4-5 या उससे ज्यादा घोड़े-घोड़ी हैं। इनमें से कुछ के पास अच्छी नस्ल के घोड़े भी हैं। जिनका किराया पालकों के द्वारा अधिक लिया जाता है।
एक घोड़े का खर्च 6 हजार महीना
लक्ष्मण ने बताया कि उनके पास दो घोड़े हैं। जिनका महीने का खर्च तकरीबन 6 हजार रुपए महीना है। इस लिहाज से घोड़ों के रखरखाव के लिए 12 हजार रुपए महीना खर्च करने पड़ते हैं। और साल में तकरीबन डेढ़ लाख। जबकि अधिक कमाई न होने के कारण घोड़ों को चने वगैरह नहीं खिला पाते हैं। गेहूं आदि खिलाकर जैसे तैसे काम चला रहे हैं। 15 वर्ष से घोड़े साथ हैं, इसलिए उनका रखरखाव भी परिवार के सदस्यों की तरह ही किया जाता है।
शौक और सेवा
लगभग 15 वर्षों से शादी बारातों में घोड़ी लेकर जाने वाले ठीकरिया निवासी लक्ष्मण का कहना है कि इस व्यवसाय में अब कुछ नहीं रह गया। पहले तो कमाई हो भी जाती थी। लेकिन अब खर्च के आगे कमाई नाममात्र ही रह गई है। चूंकि घोड़ों को पालने का शौक है इसलिए करते आ रहे हैं, इससे लोगों की सेवा भी हो जाती है।
सावों में 10-12 शादियों में होती है बुकिंग
लक्ष्मण से बताया कि वो एक शादी में 3500 रुपए लेते हैं, कोई तीन हजार भी देता है। और पूरे सावे 10 से 12 शादियों में बुकिंग हो जाती है। ऐसे देखा जाए तो एक सावे में एक घोड़े से लगभग 35 हजार रुपए की कमाई हो जाती है। बाकि पूरे वर्ष घोड़ी का कोई कार्य नहीं होता है।

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