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बारिश से बचने नकारा छात्रावास भवन के नीचे पहुंचे बच्चे, बरामदा ढहने से दो बच्चों की दर्दनाक मौत, दो घायल

locationबांसवाड़ाPublished: Aug 31, 2020 11:28:32 am

Submitted by:

Varun Bhatt

building collapses in rajasthan, heavy rain in banswara : कुशलगढ़ के मोर गांव में छात्रावास की छत के नीचे दबने से हुआ हादसा, बारिश में बकरियां चराने के दौरान भीगने से बचने भवन ने नीचे खड़े थे बच्चे

बारिश से बचने नकारा छात्रावास भवन के नीचे पहुंचे बच्चे, बरामदा ढहने से दो बच्चों की दर्दनाक मौत, दो घायल

बारिश से बचने नकारा छात्रावास भवन के नीचे पहुंचे बच्चे, बरामदा ढहने से दो बच्चों की दर्दनाक मौत, दो घायल

कुशलगढ़/बांसवाड़ा. कुशलगढ़ उपखंड के मोर गांव में पुरानी व नकारा छात्रावास की छत गिरने से दो बच्चों की की मौत हो गई और दो बच्चे घायल हो गए, जिनका इलाज बांसवाड़ा अस्पताल में चल रहा है। हादसेे के बाद एक बच्चे की मौत अस्पताल ले जाते समय रास्ते में हो गई और दूसरे की इलाज के दौरान हुई। नगर से करीब एक किमी दूर मोर गांव में स्थित वन विभाग के ठीक सामने सामाजिक कल्याण विभाग का हॉस्टल संचालित था, जिसे विभाग ने तीन साल पहले ही नकारा घोषित कर बंद कर दिया था। हॉस्टल के निकट मोर गांव के कुछ बच्चे बकरियां चरा रहे थे। अचानक आई बारिश से बचने के लिए जर्जर हॉस्टल के बरामदे में पहुंच गए। इस बीच बरामदे की छत भरभरा कर गिर गई। नीचे खड़े चारों बच्चे दब गए। घटना के दौरान तेज आवाज आई तो आस पास के लोग दौड़ पड़े। लोगों ने तीन बच्चों को जैसे तैसे बाहर निकाला, लेकिन एक बच्चा दबा ही रहा। जिसे बाद में जेसीबी की मदद से बाहर निकाला। पुलिस के अनुसार मोर निवासी कल्पेश (17) पुत्र मालजी वसुनिया, विक्रम (12) पुत्र मगन वसुनिया, राजू (10) पुत्र रमेश खडिया निवासी भगतपुरा, बबलू (12) पुत्र जलिया निवासी सुनारिया मलबे में दबे थे। इसमें से बबलू को तत्काल रैफर किया था और रास्ते में ही मौत हो गई। बाद में बाकी तीनों को रैफर कर दिया था। जिसमें से राजू की मौत हो गई।
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हमेशा ही बारिश के समय पहुंचते है बच्चे
जानकारी के अनुसार बबलू के माता – पिता नहीं थे, इस कारण वह अपने मामा चमना भगत के घर मोर में ही रहता था। जब भी समय मिलता तो वह मवेशी चराने अन्य बच्चों के साथ निकल पड़ता था। इसी तरह से दूसरा मृतक राजू भगतपुरा का रहने वाला था, लेकिन हादसे के एक दिन पहले ही मोर गांव के मावजी के घर मेहमान आया था। बताया जाता है कि इस क्षेत्र में खुलापन होने के कारण आस पास के लोग मवेशी चराते है और जब भी बारिश आती है तो इसी छात्रावास का सहारा लिया जाता है। दूसरी ओर रविवार को हुए हादसे के बाद मौके पर एसडीएम विजयेश पंड्या, डीएसपी संदीपङ्क्षसह, सीआई प्रवीण कुमार आदि ने मौका मुआयना किया।
सवाल : तीन साल पहले नकारा, फिर गिराया क्यों नहीं
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की ओर से यहां डॉ. भीमराव अंबेडकर का छात्रावास संचालित था। भवन जर्जर होने के कारण तीन साल पहले ही इसे नकारा घोषित कर दिया था। लेकिन बड़ा सवाल यहीं है कि नकारा घोषित होने के बाद तीन साल गुजर गए, लेकिन अब तक विभाग ने इसे गिराया क्यों नहीं और स्थानीय प्रशासन ने इसे गिराने को लेकर पहल क्यों नहीं की। यदि समय रहते ही इस नकारा भवन को गिरा दिया गया होता तो शायद बच्चों की जान नहीं जाती। गौरतलब है कि प्रशासन हर वर्ष बरसात से पूर्व जर्जर भवनों को लेकर महज कागजी आदेश ही जारी कर रहा है। धरातल पर काम नहीं होने से अब कई जर्जर भवन हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं।
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