कोसने का नहीं, सोचने का वक्त : – आचार्य ने कहा कि चीन की गलती से कोरोना वायरस के कारण मानवजाति का इतना बड़ा अहित हुआ है। बेकसूर लोगों को मौत के घाट पर उतार देना अभिशाप बनकर चीन के सामने आएगा। यह वक्त कोसने का नहीं, अपितु देश और देशवासियों के बारे में सोचने का है। भारत और सरकार पहले जाग गए, अन्यथा हमारा हाल अमरीका, इटली जैसा हो जाता। प्रधानमंत्री व सरकार के प्रयासों के कारण स्थिति नियंत्रण में है। यह नियंत्रण हाथ से छूटा तो भगवान भी नहीं बचा पाएगा।
धर्म ने कहा-भीतर हो : – आचार्य ने कहा कि हमने परमात्मा की बातों को नजरअंदाज किया। सदियों से धर्म कहते आ रहा है कि भीतर ही भीतर रहो। हमने इन बातों को अनसुना कर दिया। आज कोरोना कह रहा है घरों के भीतर रहो। बाहर आओगे तो नामोनिशान मिट जाएग। सरकार हमारी व्यवस्था कर रही है। मात्र 45 करोड़ की आबादी वाला अमेरिका स्वयं को नियंत्रण नहीं कर पाया। हमारा देश तो 137 करोड़ का देश है। संसाधन भी कम है फिर भी देश के लोग, शासन, प्रशासन व्यवस्था कर रहे हंै। इतना बड़ा कदम भारत के लोग ही उठा सकते हैं।
घबराने की जरूरत नहीं : – उन्होंने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। घर-घर आपूर्ति की सरकार व्यवस्था कर रही है। जो जहां हैं, वहीं रहें। हमारे गरीब लोगों को, मजदूरों को, श्रमिकों को घर की याद आ रही होगी, जो बाहर जाकर काम कर रहे हैं। बच्चों की याद सता रही होगी। पलायन मत करो। ऊपरवाला देख रहा है। तुम्हारा श्रम, परिश्रम व्यर्थ नहीं जाएगा। जहां है वहीं रहने का पुरुषार्थ करें। नौ माह हम मां के गर्भ में रह सकते हैं तो 21 दिन भारत मां के गर्भ में रहें। 21 दिन के बाद हमारा नया जन्म होगा। 21वीं सदी का भारत 21 दिन की साधना से अपने सूर्योदय के साथ उदित होगा।