scriptकोरोना को लेकर जैनाचार्य पुलकसागर ने कहा- ‘जो संभलेगा, वहीं बचेगा, जो ठहरेगा, वही जीयेगा’ | Jainacharya Pulak Sagar appealed to people to follow the lockdown | Patrika News

कोरोना को लेकर जैनाचार्य पुलकसागर ने कहा- ‘जो संभलेगा, वहीं बचेगा, जो ठहरेगा, वही जीयेगा’

locationबांसवाड़ाPublished: Mar 31, 2020 02:43:38 pm

Coronavirus Update, Pulak Sagar Maharaj In Banswara : जैनाचार्य ने की लॉकडाउन का पालन करने की अपील

कोरोना को लेकर जैनाचार्य पुलकसागर ने कहा- ‘जो संभलेगा, वहीं बचेगा, जो ठहरेगा, वही जीयेगा’

कोरोना को लेकर जैनाचार्य पुलकसागर ने कहा- ‘जो संभलेगा, वहीं बचेगा, जो ठहरेगा, वही जीयेगा’


बांसवाड़ा. जैनाचार्य पुलकसागर महाराज ने आमजन से लॉकडाउन की पालना करने की अपील कर कहा है कि धार्मिक, आस्था और भक्ति के देश में देवालय बंद हैं। जिसके दरवाजे बंद नहीं होते हैं, जिसकी चौखट पर हजारों लोगों की मन की मुराद पूरी होती है, आज उसी परमात्मा ने हमारे द्वार बंद कर दिए हैं। जो संभलेगा, वहीं बचेगा। जो रुकेगा, वही चलेगा। जो ठहरेगा, वही जीयेगा। परमात्मा कह रहा है कि मेरे मंदिर मत आओ। अपने घर को मंदिर बनाओ और घर पर ही रहो।
कोसने का नहीं, सोचने का वक्त : – आचार्य ने कहा कि चीन की गलती से कोरोना वायरस के कारण मानवजाति का इतना बड़ा अहित हुआ है। बेकसूर लोगों को मौत के घाट पर उतार देना अभिशाप बनकर चीन के सामने आएगा। यह वक्त कोसने का नहीं, अपितु देश और देशवासियों के बारे में सोचने का है। भारत और सरकार पहले जाग गए, अन्यथा हमारा हाल अमरीका, इटली जैसा हो जाता। प्रधानमंत्री व सरकार के प्रयासों के कारण स्थिति नियंत्रण में है। यह नियंत्रण हाथ से छूटा तो भगवान भी नहीं बचा पाएगा।
धर्म ने कहा-भीतर हो : – आचार्य ने कहा कि हमने परमात्मा की बातों को नजरअंदाज किया। सदियों से धर्म कहते आ रहा है कि भीतर ही भीतर रहो। हमने इन बातों को अनसुना कर दिया। आज कोरोना कह रहा है घरों के भीतर रहो। बाहर आओगे तो नामोनिशान मिट जाएग। सरकार हमारी व्यवस्था कर रही है। मात्र 45 करोड़ की आबादी वाला अमेरिका स्वयं को नियंत्रण नहीं कर पाया। हमारा देश तो 137 करोड़ का देश है। संसाधन भी कम है फिर भी देश के लोग, शासन, प्रशासन व्यवस्था कर रहे हंै। इतना बड़ा कदम भारत के लोग ही उठा सकते हैं।
घबराने की जरूरत नहीं : – उन्होंने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। घर-घर आपूर्ति की सरकार व्यवस्था कर रही है। जो जहां हैं, वहीं रहें। हमारे गरीब लोगों को, मजदूरों को, श्रमिकों को घर की याद आ रही होगी, जो बाहर जाकर काम कर रहे हैं। बच्चों की याद सता रही होगी। पलायन मत करो। ऊपरवाला देख रहा है। तुम्हारा श्रम, परिश्रम व्यर्थ नहीं जाएगा। जहां है वहीं रहने का पुरुषार्थ करें। नौ माह हम मां के गर्भ में रह सकते हैं तो 21 दिन भारत मां के गर्भ में रहें। 21 दिन के बाद हमारा नया जन्म होगा। 21वीं सदी का भारत 21 दिन की साधना से अपने सूर्योदय के साथ उदित होगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो