scriptपटवारी भर्ती परीक्षा में बांसवाड़ा के युवक ने जालोर से बुलाकर बैठाया था एवजी, अब दोनों को 5-5 साल कड़ी कैद | jalor's young man replaced other in the Patwari exam, now imprisonment | Patrika News

पटवारी भर्ती परीक्षा में बांसवाड़ा के युवक ने जालोर से बुलाकर बैठाया था एवजी, अब दोनों को 5-5 साल कड़ी कैद

locationबांसवाड़ाPublished: Aug 21, 2019 10:53:56 am

Submitted by:

deendayal sharma

बांसवड़ा में आठ साल पहले हुई पटवार भर्ती परीक्षा-2011 में मुख्य अभ्यर्थी की जगह किसी दूसरे के परीक्षा में बैठने के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दोनों युवकों को पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

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पटवारी भर्ती परीक्षा में बांसवाड़ा के युवक ने जालोर से बुलाकर बैठाया था एवजी, अब दोनों को 5-5 साल कड़ी कैद

बांसवाड़ा. बांसवड़ा में आठ साल पहले हुई पटवार भर्ती परीक्षा-2011 में मुख्य अभ्यर्थी की जगह किसी दूसरे के परीक्षा में बैठने के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दोनों युवकों को पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा कोर्ट ने इन पर पांच-पांच हजार का जुर्माना भी लगाया है।
प्रकरण के अनुसार 25 सितंबर 2011 को बांसवाड़ा शहर में खांदू कॉलोनी स्थित आलोक विद्या विहार माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य सोहनलाल ने कोतवाली थाने में यह रिपोर्ट दी, जिसमे बताया किउनका स्कूल पटवार भर्ती परीक्षा-2011 का परीक्षा केन्द्र था, जिसमें रोल नंबर 13107501 से 13107600 तक आवंटित थे। परीक्षा केन्द्र के कमरा नंबर पांच के वीक्षक शैलेश बंसल ने रोल नंबर 13107570 के परीक्षार्थी के दस्तावेज की जांच पड़ताल की तो वह सुशील पारगी पुत्र साउल पारगी मुकाम पोस्ट बड़ोदिया, तहसील बागीदौरा का था लेकिन सुशील की जगह कोई अन्य छात्र बैठा हुआ था।
वीक्षक ने जब सख्ती के साथ उसका नाम पूछा तो उसने स्वयं को अशोक चौधरी पुत्र नानजीराम गांव छाव तहसील सांचोर जिला जालौर का होना बताया। इस रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी अशोक, सुशील व सकन सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी के साथ 3/6 राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1992 के अपराध का प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में प्रस्तुत किया।
योग्य अभ्यर्थियों के कॅरिअर पर विपरीत प्रभाव
पत्रावलियों का अवलोकन करने के बाद न्यायालय ने माना कि यह सही है कि आरोपी ग्रामीण परिवेश से हैं, लेकिन आरोपियों की ओर से जानबूझकर षड्यंत्रपूर्वक सरकारी नौकरी के लिए पटवारी भर्ती परीक्षा में फर्जी अभ्यर्थी को सम्मिलित किया है। प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा होने पर योग्य अभ्यर्थियों के कॅरिअर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में भी फर्जीवाड़ा कर सरकारी नौकरियां पाने के मामले बढ़ रहे हैंं। यदि इस प्रकार के आरोपियों के प्रति नरमी का रुख अपनाया गया तो इससे समाज में विपरीत संदेश जाएगा। साथ ही योग्य अभ्यर्थियों के प्रति अन्याय होगा। इसलिए प्रकरण के सभी तथ्य एवं परिस्थितियां पर विचार के बाद आरोपियों को अपराधी परीवीक्षा अधिनियम के प्रावधानों का लाभ दिया जाना अचित नहीं हैंैं।
ये है न्यायालय का दण्डादेश
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पीठासीन अधिकारी दीपक कुमार सोनी ने आरोपी जालौर जिले के सांचोर थाना इलाके के धमाणा निवासी अशोक (28) पुत्र नागजीराम सुथार तथा आरोपी कलिंजरा थाना इलाके के नवाटापरा बड़ोदिया निवासी सुशील (31) पारगी पुत्र साउल पारगी को आईपीसी की धारा 419, 420, 468, 120-बी तथा 3/6 राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1992 के अपराध का दोषी माना। जबकि सकनसिंह को संदेह का लाभ दिया गया।
इन धाराओं में यह सुनाई सजा

-धारा 419 में दोनों को 3 साल कठोर कारावास, तीन हजार रुपए जुर्माना, अदम अदायगी छह महीने की जेल।
-धारा 420 में दोनों को पांच साल कठोर कारावास, पांच हजार का दण्ड, अदम अदाएगी एक साल की सामान्य जेल।
-धारा 468 में पांच साल कठोर कारावास, पांच हजार का दण्ड, अदम अदाएगी एक साल की साधारण जेल।
-120-बी धारा में दोनों को तीन साल का कठोर कारावास, तीन हजार रुपए जुर्माना, अदम अदाएगी छह माह जेल।
– 3/6 राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1992 के अपराध में तीन साल के कठोर कारावास की सजा, तीन हजार रुपए जुर्माना, अदम अदाएगी छह माह की जेल।
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