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Video : बांसवाड़ा में कवि सम्मेलन : ‘हम छंद, वह कविता है, हम लवकुश वह सीता है…’

locationबांसवाड़ाPublished: Jul 23, 2018 03:03:23 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

www.patrika.com/rajasthan-news

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Video : बांसवाड़ा में कवि सम्मेलन : ‘हम छंद, वह कविता है, हम लवकुश वह सीता है…’

बांसवाड़ा. ‘हम एक शब्द हंै, वह पूरी भाषा है, हम कुंठित, वह अभिलाषा है, हम छंद, वह कविता है, हम लवकुश तो वह सीता है….’ मां पर अपनी लोकप्रिय रचना को जब ख्यातनाम कवि और तारक मेहता फेम शैलेश लोढ़ा ने सुनाया तो बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोता भाव विभोर हो उठे। लायंस क्लब के शपथ ग्रहण समारोह के उपलक्ष्य में रविवार रात उदयपुर मार्ग स्थित एक वाटिका में आयोजित कवि सम्मेलन में लोढ़ा सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों ने हास्य की फुहारों से भिगोया तो शृंगार रस की सरिता में गोते भी लगवाए।
कवि सम्मेलन में लोढ़ा ने ‘कल जब उठकर काम पर जा रहा था…, कोई तो होता जो गलतियों पर डांटने वाला होता…. पंक्तियों से मां की महिमा को बहुगुणित किया। उन्होंने ‘छत नहीं रहती, दहलीज नहीं रहती, दर-ओ-दीवार नहीं रहती, वो घर घर नहीं होता, जिसमें कोई बुजुर्ग नहीं होता…’ रचना से भी श्रोताओं को दाद देने के लिए मजबूर कर दिया। लोढ़ा ने सामान्य लोक जीवन की घटनाओं को भी हास्य के रूप में प्रस्तुत कर श्रोताओं को खूब हंसाया। नई दिल्ली से आई मुमताज नसीम ने शृंगार रस की सरिता बहाई। उन्होंने ‘सारे गम भूल जाओगे वादा करो, आप खुशियां मनाओगे वादा करो, देखो परिन्दे भी घर आ गए, आप लौट के आओगे वादा करो…’ ‘दर्द आंखों से बहता रहा है मगर, हम सुनाएंगे गाकर तुम्हारे लिए..’ ‘हर तरफ ढूंढती है निगाहें तुम्हें, दिल धडक़ता है, हर पल तुम्हारे लिए…’ ‘सुबह आने लगा, शाम आने लगा, मेरे होठों पर एक नाम आने लगा…’ और ‘बदरिया रे, वहां जाकर बरसो, जहां मेरे सांवरिया…’ आदि गीतों से वातावरण रूमानी कर दिया।
नई दिल्ली के ही अरूण जैमिनी ने हरयाणवी अंदाज और वहां के लोक जीवन से जुड़ी टिप्पणियां कर गुदगुदाया। वहीं ‘कुछ दिन भरपेट सांप खाना चाहता हूं, इसलिए छुट्टियां लेकर हिन्दुस्तान जाना चाहता हूं, भारत ने बहुत से सांप संभाल रखे हैं, इन्हें अपनी आस्तीन में पाल रखे हैं…’ रचना से देश के भीतरी हालात का दृश्य प्रस्तुत किया। उज्जैन के कवि दिनेश दिग्गज के संचालन और जलज जानी के संयोजन में हुए कवि सम्मेलन के आरंभ में लायंस क्लब के पदाधिकारियों ने सभी रचनाकारों का स्वागत किया। कार्यक्रम के बाद शैलेश लोढ़ा के साथ सेल्फी लेने की भी श्रोताओं में होड़ सी मची रही।
‘नीरज माटी की वो गंध, जिनसे कई पीढिय़ां प्रभावित’
बांसवाड़ाञ्चपत्रिका. ख्यातनाम कवि और तारक मेहता फेम शैलेश लोढ़ा का कहना है कि गोपालदास ‘नीरज’ जैसे रचनाकार, गीतकार ऐसी शख्सियत हैं जो कभी इस दुनिया से जाते नहीं। वे माटी की वो गंध हैं, जिनसे कई पीढिय़ां प्रभावित हुई। बांसवाड़ा में लायंस क्लब के शपथ ग्रहण समारोह के तहत आयोजित कवि सम्मेलन के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत में लोढ़ा ने कहा कि मेघा छाए आधी रात…, दिल आज शायर है…, ओ मेरी शर्मिली…, ऐ भाई, जरा देख के चलो… जैसे गीत जीवन का दर्शन बताते हैं। नीरज ने एक सामान्य सी पंक्ति में असामान्य बात कह देने की विधा को ऐसा साधा कि जब तक शब्द रहेगा, कविता रहेगी, साहित्य रहेगा, तब तक वे रहेंगे। लोढ़ा ने कहा कि उनके साथ काव्य पाठ का सौभाग्य मिलना उनके जीवन की थाती है। उनके साथ बिताए पल, बातें जीवन के पे्ररणा देती हैं। नीरज की रचनाएं आत्मा के सौन्दर्य की प्रतीक रही हैं।
भाषा को जिन्दा रखें
लोढ़ा ने कहना कि भाषा समाप्त हो जाएगी तो संस्कृति समाप्त हो जाएगी। आज राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग बोली है और उसकी अपनी एक मिठास है। भाषा की बनावट, रस, सौन्दर्य अनुपम, अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि समय के साथ अंगे्रजी जानना आवश्यक है, लेकिन अंगे्रजी सिर्फ भाषा है। वह ज्ञान नहीं है, जो हमें हिन्दी और हमारे देश की भाषाएं देती हैं। लोढ़ा ने उनके टीवी धारावाहिक में एक महिला पात्र के इन दिनों नहीं आने और एक पात्र के निधन के बाद लोकप्रियता में आई कमी के सवाल को जाने में देरी होने की बात कहते हुए टाल दिया।

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