विद्यालय में अध्यापकों के 36 पद स्वीकृत है। परन्तु कार्यरत मात्र 16 ही है। विज्ञान वर्ग में गणित, जीव विज्ञान, कला वर्ग में हिन्दी साहित्य, भूगोल तथा संस्कृत विषय का व्याख्याता नहीं होने से विद्यार्थी अपने स्तर पर पढ़ाई कर रहे है। इसके अलावा व्यावसायिक शिक्षा में विषय अध्यापकों के पद भी रिक्त हैं। विद्यालय में दो वर्ष पूर्व विज्ञान संकाय प्रारम्भ किया गया परन्तु ना तो प्रयोगशाला है और ना ही बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था है। संस्था प्रधान कचरूलाल मीणा ने बताया कि विद्यालय में रिक्त पदों व कक्षा-कक्षों की समस्या को लेकर कई बार उच्च अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया। परन्तु समस्या का समाधान नहीं हो सका।
स्कूल भवन की चारदीवारी नहीं होने से पास ही स्थित बस्ती व अतिक्रमियों ने विद्यालय के मध्य से आम रास्ता निकाल लिया। विरोध करने पर अतिक्रमी आए दिन विवाद खड़ा कर देते हैं। इस मार्ग से ट्रैक्टर ट्रॉलियां गुजरते रहते हैं। वाहनों की आवाजाही व इन पर तेज आवाज में बजते टेप रिकॉर्डर और हॉर्न की आवज से छात्रों के अध्ययन में व्यवधान उत्पन्न होता है। वहीं बच्चों के वाहनों की चपेट में आने का भी खतरा रहता है। लोग अपने गाय-भैंसें भी इसी रास्ते से ले जाते हैं। इस अवैध रास्ते को बंद कराने के लिए कई बार एसडीएमसी की बैठकों में प्रस्ताव लिए जा चुके हंै।