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बांसवाड़ा : न कक्षा कक्षों के ठिकाने न ही शिक्षकों के, बीच स्कूल दौड़ते वाहन और गाय-भैंसे, ऐसे में कैसे टॉप करेंगे सरकारी स्कूल के बच्चे

locationबांसवाड़ाPublished: Aug 12, 2018 12:52:41 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

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बांसवाड़ा : न कक्षा कक्षों के ठिकाने न ही शिक्षकों के, बीच स्कूल दौड़ते वाहन और गाय-भैंसे, ऐसे में कैसे टॉप करेंगे सरकारी स्कूल के बच्चे

पंकज लुणावत. बांसवाड़ा. कुशलगढ़. क्षेत्र में सकारी स्कूलों में सुविधाओं के अभाव में तालीम का तानाबाना उधड़ रहा है। कहीं भवन जर्जर है तो कहीं बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त कक्षा-कक्ष तक नहीं है। स्कूल क्रमोन्नत तो कर दिए लेकिन शिक्षक आज तक नहीं लगाए। विज्ञान विषय खोल दिया लेकिन प्रयोगशाला का अता पता तक नहीं है। कुशलगढ़ उपखण्ड से करीब 10 किमी दूर स्थित राउमावि काकनवानी भी समस्याओं से जूझ रहा है। विद्यालय में कक्षा पहली से बारहवीं तक 1100 से अधिक बालक बालिकाएं अध्ययनरत हैं। परन्तु उनके बैठने के लिए मात्र 6 कक्षा-कक्ष ही है। ऐसे में कक्षा 10 के 187 छात्र-छात्राओं को एक ही कमरे में बैठाकर अध्ययन करने को मजबूर है। वहीं कक्षा पहली से पांचवीं तक के 142 बच्चों को भी एक साथ बैठाकर पढ़ाया जाता है। स्कूल में शिक्षकों को कई पद खाली पड़े हैं।
अपने स्तर पर करते अध्ययन
विद्यालय में अध्यापकों के 36 पद स्वीकृत है। परन्तु कार्यरत मात्र 16 ही है। विज्ञान वर्ग में गणित, जीव विज्ञान, कला वर्ग में हिन्दी साहित्य, भूगोल तथा संस्कृत विषय का व्याख्याता नहीं होने से विद्यार्थी अपने स्तर पर पढ़ाई कर रहे है। इसके अलावा व्यावसायिक शिक्षा में विषय अध्यापकों के पद भी रिक्त हैं। विद्यालय में दो वर्ष पूर्व विज्ञान संकाय प्रारम्भ किया गया परन्तु ना तो प्रयोगशाला है और ना ही बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था है। संस्था प्रधान कचरूलाल मीणा ने बताया कि विद्यालय में रिक्त पदों व कक्षा-कक्षों की समस्या को लेकर कई बार उच्च अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया। परन्तु समस्या का समाधान नहीं हो सका।
दिनभर वाहनों की घर्र-घर…र्बजते हॉर्न
स्कूल भवन की चारदीवारी नहीं होने से पास ही स्थित बस्ती व अतिक्रमियों ने विद्यालय के मध्य से आम रास्ता निकाल लिया। विरोध करने पर अतिक्रमी आए दिन विवाद खड़ा कर देते हैं। इस मार्ग से ट्रैक्टर ट्रॉलियां गुजरते रहते हैं। वाहनों की आवाजाही व इन पर तेज आवाज में बजते टेप रिकॉर्डर और हॉर्न की आवज से छात्रों के अध्ययन में व्यवधान उत्पन्न होता है। वहीं बच्चों के वाहनों की चपेट में आने का भी खतरा रहता है। लोग अपने गाय-भैंसें भी इसी रास्ते से ले जाते हैं। इस अवैध रास्ते को बंद कराने के लिए कई बार एसडीएमसी की बैठकों में प्रस्ताव लिए जा चुके हंै।

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