जैसे-तैसे जुगाड़, दुकान किराये की भी चिंता : – सैलून संचालक गिरधारीलाल भाटिया ने कहा कि 22 मार्च से दुकान बंद है। दुकान पर उसने अलावा तीन अन्य कारीगर भी काम करते हैं, जिनमें दो अरथूना तथा एक उदयपुर का निवासी है। तीनों कारीगर शहर में ही किराये पर कमरा लेकर रहते हैं। दुकान बंद होने से आय बिल्कुल बंद हो गई है। सामान्य दिनों में प्रतिदिन की आय साढ़े तीन सौ से पांच सौ रुपए प्रति कारीगर होती है। लॉकडाउन के कारण दुकान बंद है और वे घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। परिवार के भरण पोषण के अलावा दुकान के किराये की भी चिंता है। आठ हजार रुपए प्रतिमाह पर दुकान किराये पर ली है, लेकिन करीब तीन सप्ताह से अधिक समय तक दुकान बंद रहने और आय नहीं होने से किराया कैसे चुकाएंगे, यह भी चिंता बनी रहती है।
कैसे पालें छह सदस्यों का पेट : – सैलून संचालक मुकेश नाई ने बताया कि वह दो भाई और एक कारीगर मिलकर दुकान चलाते हैं। घर दैनिक आय पर ही चलता है और सात हजार रुपए मासिक दुकान किराये पर ली है। 22 तारीख से काम बंद है। सब घर में हैं तो किसी से उधार भी नहीं ला सकते हैं। जैसे-तैसे घर चला रहे हैं। घर में दो भाई, पत्नी, बच्चे, मां सहित सात सदस्य हैं। सरकार के स्तर पर दुकान सेनेटाइज करने के बाद दो-तीन घंटे भी दुकान खोलने की अनुमति मिले तो राहत मिल सकती है। इधर, सैलून बंद रहने से आमजन भी खासे परेशान हैं। कई ने अपने शेव बढ़ा रखी है तो कई युवा बाल लंबे होने से छोटी चोटी तक बांधने लगे हैं। हालांकि शहर में एक-दो लोग ऐसे भी हैं, जो सामान सेनेटाइज कर अपने घर में ही सेवाएं दे रहे हैं।