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प्रदूषण की वजह से चंद्रग्रहण के दौरान लाल की बजाय काला दिखा चंद्रमा, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

locationबांसवाड़ाPublished: Jul 18, 2019 03:29:48 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

Lunar Eclipse 2019, Chandra Grahan In India : कपासन के आरएनटी कॉलेज में आंशिक चंद्रगहण का अध्ययन, वैज्ञानिकों के अध्ययन का निष्कर्ष, प्रदूषण रोकने की जताई आवश्यकता

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प्रदूषण की वजह से चंद्रग्रहण के दौरान लाल की बजाय काला दिखा चंद्रमा, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

बांसवाड़ा. अदभूत खगलीय घटना आंशिक चंद्रग्रहण मंगलवार रात देश भर में देखा गया। आम तौर पर चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल दिखाई देता है, लेकिन इस बार काला दिखाई दिया। वैज्ञानिकों के मुताबिक लाल रंग को प्रदूषण ने रोक लिया और प्रदूषण की यह स्थिति चिंताजनक है। इसे कम करने के उपाय जरूरी हैं। आंशिक चंद्रग्रहण का यह नजारा बांसवाड़ा सहित कुछ स्थानों पर आकाश में बादलों की वजह खगोल वैज्ञानिक और आमजन नहीं देख सके। आंशिक चन्द्रग्रहण का चितौडगढ़़ जिले के कपासन में रवीन्द्र नाथ टैगोर महाविद्यालय में भौतिक शास्त्र विभाग के प्रोफेसर भौतिक शास्त्र विभाग के प्रो. एस.एन.ए. जाफरी, असिस्टेंट प्रोफेसर श्रवण कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर शुभम, सहायक तकनीशियन करण एवं शोध विद्यार्थियों हरीवंश गौरव की टीम ने 6 इंच के कैसेग्रेरिसन रिफ्लेक्टिंग दूरदर्शी द्वारा चन्द्रग्रहण का अध्ययन किया। आंशिक चंद्रगहण रात 1:30 बजे आरम्भ होकर 4:15 बजेे पूर्ण हूआ । यह चन्द्र ग्रहण 2 जुलाई के सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद हुआ। इस चन्द्र ग्रहण को पूरे भारत वर्ष में देखा जा सका। महाविद्यालय की टीम ने रात 11 बजे से ही तैयारी कर ली और ठीक 1:30 बजे प्रेक्षण आरम्भ कर दिए।
सदी का सबसे लम्बा चंद्रग्रहण (longest lunar eclipse of the century)

प्रदूषण ने रोका लाल रंग
दूरदर्शी द्वारा चन्द्रग्रहण आंशिक रूप से काला दिखाई दिया, जबकि चन्द्रग्रहण प्राय: लाल दिखाई देता है, यह इस बात को दर्शाता है कि छाया चन्द्रमा पर गिरती है और सूर्य का प्रकाश आंशिक चन्द्रग्रहण में पृथ्वी के वायुमण्डल से गुजरता हुआ चन्द्रमा पर पहुंचता है। रैले प्रकीर्णन द्वारा अधिकांश नीला रंग पृथ्वी के वायुमण्डल से निकल बाहर हो जाता है और केवल लाल रंग ही चन्द्रमा पर पहुंचता है, जिससे चन्द्रमा लाल दिखाई देता है। परन्तु इस बार ऐसा नहीं हुआ। चन्द्रमा पर छाया पृथ्वी की केवल काली थी और अधिक प्रदूषण ने लाल रंग को भी रोक लिया। इस प्रेक्षण का निष्कर्ष यही है कि हमें प्रदूषण कम करने की अत्यन्त आवश्यकता है।
chandra grahan In Rajasthan

द्वितीय कॉस्मिक विकिरण में वृद्धि भी चिंताजनक
गइगर मूलर संसूचक द्वारा भी उच्च ऊर्जा की द्वितीय कॉस्मिक विकिरणों का अध्ययन किया गया। जैसे-जैसे चन्द्रग्रहण बढ़ता गया द्वितीय विकिरणों की मात्रा में भी वृद्धि होती गई। इससे यह पता चलता है कि चन्द्रमा का वातावरण वायुरहित है, और प्राय: कॉस्मिक विकिरण सीधे चन्द्रमा की सतह पर टकराते है, जिससें विकिरणों की वापसी होती है और वे हमारी पृथ्वी पर पहुंच जाती है। रात में सूर्य नहीं होता जिसके कारण ये विकिरण पृथ्वी के वायुमण्डल में द्वितीय कॉस्मिक विकिरण में वृद्धि करते हंै यह भी एक चिंतन का विषय है। प्रक्षणों के आधार पर निष्कर्ष विज्ञान के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें इसके निवारण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

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