दूरदर्शी द्वारा चन्द्रग्रहण आंशिक रूप से काला दिखाई दिया, जबकि चन्द्रग्रहण प्राय: लाल दिखाई देता है, यह इस बात को दर्शाता है कि छाया चन्द्रमा पर गिरती है और सूर्य का प्रकाश आंशिक चन्द्रग्रहण में पृथ्वी के वायुमण्डल से गुजरता हुआ चन्द्रमा पर पहुंचता है। रैले प्रकीर्णन द्वारा अधिकांश नीला रंग पृथ्वी के वायुमण्डल से निकल बाहर हो जाता है और केवल लाल रंग ही चन्द्रमा पर पहुंचता है, जिससे चन्द्रमा लाल दिखाई देता है। परन्तु इस बार ऐसा नहीं हुआ। चन्द्रमा पर छाया पृथ्वी की केवल काली थी और अधिक प्रदूषण ने लाल रंग को भी रोक लिया। इस प्रेक्षण का निष्कर्ष यही है कि हमें प्रदूषण कम करने की अत्यन्त आवश्यकता है।
गइगर मूलर संसूचक द्वारा भी उच्च ऊर्जा की द्वितीय कॉस्मिक विकिरणों का अध्ययन किया गया। जैसे-जैसे चन्द्रग्रहण बढ़ता गया द्वितीय विकिरणों की मात्रा में भी वृद्धि होती गई। इससे यह पता चलता है कि चन्द्रमा का वातावरण वायुरहित है, और प्राय: कॉस्मिक विकिरण सीधे चन्द्रमा की सतह पर टकराते है, जिससें विकिरणों की वापसी होती है और वे हमारी पृथ्वी पर पहुंच जाती है। रात में सूर्य नहीं होता जिसके कारण ये विकिरण पृथ्वी के वायुमण्डल में द्वितीय कॉस्मिक विकिरण में वृद्धि करते हंै यह भी एक चिंतन का विषय है। प्रक्षणों के आधार पर निष्कर्ष विज्ञान के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें इसके निवारण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।