यह चंद्रग्रहण अमरीका, उत्तरी यूरोप, रूस, एशिया, भारत, हिन्द व प्रशांत सागर और आस्ट्रेलिया में ही देखा जा सकेगा। लाल दिखेगा चंद्रमा स्पेक्ट्रोस्कॉपी के अनुसार सूर्य की किरणें चन्द्रमा पर पृथ्वी की छाया तथा उपछाया के रूप में गिरती हैं और ये किरणें पृथ्वी के वायुमण्डल को पार कर गुजरती हैं। अत: सूर्य के प्रकाश के नीले और बैंगनी रंग का रेले प्रकर्णन हो जाता है तथा पृथ्वी पर ही रुक जाता है लेकिन लाल रंग चंद्रमा पर पहुंच जाता है। इस कारण से चंद्रमा लाल नजर आएगा। अब यदि पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रदूषण है तो चंद्रमा लाल से मेहरुन रंग का हो जाएगा और प्रदूषण की मात्रा अधिक हो जाती है तो चंद्रमा पर काले धब्बे स्पेक्ट्रम में दिखाई देंगे।
मायोन के प्रभाव का होगा अध्ययन गत 22 जनवरी को फिलीपीन्स मे मायोन ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था। इसका धुआं तथा उत्सर्जित प्रदूषण पृथ्वी के वायुमंडल में 23 सौ फीट ऊंचाई तक पहुंचा था। इससे वायुमंडल में प्रदूषण तीव्र हुआ है। यह पांच सौ साल मे पचास बार फट चुका है। वैज्ञानिक मायोन का प्रभाव चंद्रग्रहण की स्पेक्ट्रौस्कापी द््वारा अध्ययन करेंगे। बीएन विश्वविद्यालय में भी इसके अध्ययन की तैयारी की गई है।