95 वर्षीय बुजुर्ग मां को अस्पताल लेकर पहुंचे बेटों के लिए वार्ड तक जाना आफत बन गया। स्ट्रेचर न मिल पाने के कारण दो बेटों ने उनकी मां नाता पत्नी भगवान को हाथों में उठाया और ओपीडी से तकरीबन 400 मीटर दूर महिला (मेडिसिन) वार्ड तक ले गए। आसोड़ा निवासी बुजुर्ग नाता को वार्ड ले जाना दोनों बेटों के लिए टेढ़ी खीर बन गया।
नाता की तरह ही कुछ हाल एक बच्चे का भी हुआ।पैर में फ्रैक्चर की समस्या से पीडि़त बच्चे को प्लास्टर चढ़ाने के बाद स्ट्रेचर नसीब नहीं हुआ। जिसे वार्ड में पहुंचाने के लिए उसके घर के तीन सदस्यों ने गोद में लेकिर उसे अस्थि वार्ड तक पहुंचाया।
वार्ड में भर्ती बच्चों के परिजनों हाथों से पंखा कर या गीले कपड़े से बच्चों को पोंछ कर उन्हें राहत प्रदान कर रहे हैं। बच्चों के साथ-साथ परिजनों के लिए भी परेशानी का सबब है। गर्मी से निजात दिलाने के लिए गीले कपड़े से बच्चे को पोछती मां।
शिशु वार्ड में गर्मी से राहत के लिए कूलर संचालित हैं। जो पंखे खराब हैं उन्हें मरम्ॅमत के लिए भेजा गया है। अस्पताल में स्ट्रेचर और कार्मिकों की सुविधा उपलब्ध है। कुछ लोग स्वयं की इच्छा से मरीजों को बिना स्ट्रेचर ले जाते हैं।
नवनीत सोनी, नर्सिंग अधीक्षक, महात्मा गांधी अस्पताल, बांसवाड़ा