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माहीडेम प्रवासियों का स्नेह मिलन समारोह : मिलन की वेला में नैनों से फूटी खुशी की अश्रुधार, हर दिल हुआ बाग बाग

locationबांसवाड़ाPublished: Dec 25, 2018 01:27:03 pm

Submitted by:

Yogesh Kumar Sharma

www.patrika.com/banswara-news

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माहीडेम प्रवासियों का स्नेह मिलन समारोह : मिलन की वेला में नैनों से फूटी खुशी की अश्रुधार, हर दिल हुआ बाग बाग

बांसवाड़ा. अमूमन सूनसान रहना वाला माहीडेम रविवार को खुशियों से छलक उठा। उसके आस पास जर्रा जर्रा खिलखिला उठा। ऐसा होता भी क्यों नहीं। मिलन की वेला होती ही ऐसी है। वर्षों के अंतराल के बाद एक-दूसरे के सामनेे आए तो उसका असीम आनंद चेहरे पर तो छलका ही भीतर से भी दिल बल्ले बल् ले कर उठा और यह खुशी हाव भाव और शब्दों में झरने की तरह फूट रही थी। कोई जी भरकर गले मिला तो किसी ने अपनों को आलिंगबद्ध कर प्रेम का इजहार किया, बच्चा सामने आया तो गोद में उठा लिया। पहले बच्चों को रूप में देखा था आज पिता के रूप में देखा तो निहारते ही रहे। वर्षो के अंतराल में बदले डीलडोल, रूप आकार को लेकर भी अभिव्यक्ति गूंज रही थी। सुनहरी यादों में तो ऐसे खोये कि कुछ देर के लिए सुधबुध खो बैठे।
अपने आस पास की हलचल का भान तक नहीं रहा। जुबां पर गिले शिकवे भी थे कि माही से गए तो ऐसे भूले कि जैसे कभी कोई नाता नहीं था, लेकिन इसमे नाराजगी कम और अपनापन का अहसास ज्यादा था। खेलकूद से बचपन को याद किया। कुछ इन्ही सुनहरों पलों के साथ माही के प्रवासी आज आनंद विभोर हुए। माही में मानसून के दौरान रही हलचल के बाद यह ऐसा मौका था जब अथाह जलराशि के किनारों पर खुशी के जैसे हिलोरे का अहसास हुआ। इके अलावा अपनी कर्मभूमि को अभिवादन करने का शायद उनके सामने इससे बेहतर मौका और कोई हो नहीं सकता था। सो सभी ने इसमें बढ़चढकऱ भागीदारी की। ऐसे मेें बांध के समीप की गलियां और चौराहें जीवंत हो उठे, जीवन खिलखिला उठा।
सोमवार को यह नजारा था माही स्नेह मिलन समारोह का। इसके तहत राज्य एवं देश के अलग-अलग क्षेत्रों से करीब 1000 लोग यहां पहुंचे और अतीत को याद किया। इस दौरान एक दूसरे को देख ऐसे गले लगाया जैसे अपना कोई बिछड़ा वर्षों बाद मिला हो। सुबह 9 बजे से प्रवासियों का यहां आना प्रारंभ हुआ और करीब दो घण्टे से अधिक समय तक परिचय का दौर चला। कार्यक्रम में राजस्थान के अलावा एमपी, यूपी, दिल्ली, केरला, मुम्बई, बिहार, पुना आदि स्थानों से लोगशामिल हुए। मेल-मिलाप के बाद मैदान में युवा जा डटे और कबड्डी, क्रिकेट, वॉलीबॉल जैसे खेलों में दमखम दिखाया। जोश परवान पर था, लेकिन पहले जैसी चुस्ती-फुर्ती नहीं दिखी। शाम को मंच सजा तो बच्चे से लेकर बड़े सभी थिरक उठे।
घर खण्डहर फिर भी सुकून
करीब 20 से 25 वर्ष बाद लौटे कई व्यक्ति तत्कालीन समय के अपने सरकारी घर पर पहुंचे। इसमें से कई का घर अब पूर्णतया जमीदोंज हो चुका था तो कई का आवास खण्डहर में तब्दील था। इसके बावजूद चेहरों पर अपनी कर्मभूमि, अपनी माटी के सुकून से चेहरा दमक रहा था, असीम सुकून झलक रहा था। जब यहां से गए थे तब बच्चे थे और अब पिता बन चुके हैं। परिवार सहित लौटे कई व्यक्तियों ने अपने बचपन की यादों का ताजा किया। स्कूल, कक्षा, मैदान, सडक़ सभी को मनभर कर निहारा। साथ ही अपने परिवार व बच्चों को स्कूल का भ्रमण करवाया।

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