scriptबांसवाड़ा में इस बार मानसून रहा मेहरबान, माही के पानी से दो साल बाद बिजली उत्पादन 9 करोड़ यूनिट के पार | Mahi water produced more than 9 crore units of electricity in Banswara | Patrika News

बांसवाड़ा में इस बार मानसून रहा मेहरबान, माही के पानी से दो साल बाद बिजली उत्पादन 9 करोड़ यूनिट के पार

locationबांसवाड़ाPublished: Oct 19, 2019 05:10:34 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

electricity generation in Banswara : बायीं मुख्य नहर की दुर्दशा से दिक्कतों के बावजूद बड़ी उपलब्धि

बांसवाड़ा में इस बार मानसून रहा मेहरबान, माही के पानी से दो साल बाद बिजली उत्पादन 9 करोड़ यूनिट के पार

बांसवाड़ा में इस बार मानसून रहा मेहरबान, माही के पानी से दो साल बाद बिजली उत्पादन 9 करोड़ यूनिट के पार

बांसवाड़ा. जिले में इस बार मानसून काल में भरपूर वर्षा से तीन साल का रेकार्ड बिजली उत्पादन हुआ है। रतलाम मार्ग से सटे पावर हाउस नंबर एक की दोनों इकाइयां लगातार चलने और लीलवानी की इकाइयों की मदद से विद्युत उत्पादन निगम ने इस बार 9 करोड़ 22 लाख यूनिट बिजली बनाई है। इस बार मध्यप्रदेश से बड़ी मात्रा में पानी की आवक और लंबे समय तक इसका सिलसिला बने रहने से उत्पादन में और इजाफा हो सकता था, लेकिन माही बांध की बांयी मुख्य नहर की दुर्दशा से लीलवानी पावर हाउस को उम्मीद मुताबिक पानी नहीं दिया जा सका। बावजूद बरसात में नदी-नालों से लीलवानी डेम में आए पानी से भी बिजली बनाने में कुछ मदद मिली । अब मानसून सत्र के अलविदा होते ही सिंचाई के लिए माही बांध में निर्धारित भंडारण बनाए रखने के बाद अतिरिक्त पानी की गुंजाइश खत्म हो चुकी है। ऐसे में पावर हाउस को पानी मिलना बंद होने से बिजली उत्पादन थम गया है। अब सिंचाई के लिए पानी की मांग के अनुसार आपूर्ति पर बिजली बनेगी। गौरतलब है कि पिछले साल अपेक्षा से काफी कम बारिश हुई, जिससे जिले के दोनों ही पावर हाउस बंद रहे। 2017-18 में भी बारिश कम ही हुई थी। इससे दोनों पावर हाउस से 5 करोड़ 95 लाख यूनिट बिजली उत्पादन ही हो पाया था। बिजली उत्पादन के लिहाज से बीते चार वर्षों में 2016-17 ही बेहतर रहा, जब 10 करोड़ यूनिट से ज्यादा बिजली बनी। उसके तीन साल बाद अब आंकड़ा 9 करोड़ के पार गया है।
एलएमसी से नहीं मिली मदद, इसलिए लीलवानी में रही गिरावट : – आंकड़े बताते हैं कि पावर हाउस नंबर एक की 25-25 मेगावाट की इकाइयों के मुकाबले लीलवानी में 45-45 मेगावाट की बड़ी इकाइयां होते हुए भी यहां इस बार बिजली उत्पादन मात्र 1 करोड़ 80 लाख यूनिट ही हुआ। इसके पीछे कागदी पिकअप वियर से एलएमसी के जरिए पानी नहीं छोडऩा रहा। इससे उत्पादन में काफी रही, वहीं माही के गेट बार-बार खोलने की मजबूरी से पानी जाया होता रहा।
लगातार बारिश का भी रहा अवरोध : – उत्पादन में अवरोध पावर हाउस नंबर एक में भी रहा। लगातार बारिश का क्रम बांसवाड़ा जिले और उधर माही बांध के जल आवक वाले मध्यप्रदेश के इलाकों में बना रहा। इससे माही से पानी लगातार लेने पर आगे कागदी की जल भराव क्षमता कम होने से ओवरफ्लो की मुसीबत बनी रही। ऐसे में जब-तब माही बांध से पावर हाउस में पानी की आवक रोकनी पड़ी और छोटी इकाइयां भी लगातार नहीं चल पाईं। इसके बाद भी उत्पादन निगम ने हर मौके को भुनाया, जिसके चलते यहां चार साल का सबसे ज्यादा उत्पादन हो पाया।
बेहतर रहा सत्र, अगली बार एलएमसी सुधरने की उम्मीद : -चार वर्षों में इस बार पावर हाउस नंबर एक से सर्वाधिक बिजली उत्पादन होना बेहतर रहा। लीलवानी की बड़ी इकाइयों पानी नहीं मिलने से मदद नहीं मिली, वरना उत्पादन डेढ़ गुना बढ़ता। जल संसाधन विभाग एलएमसी की मरम्मत में जुटा है। उम्मीद है, अगले मानसून सत्र में लगातार पानी मिलेगा तो बिजली उत्पादन नए रेकार्ड बनाएगा।…… दिलीप गेहानी, अधीक्षण अभियंता, विद्युत उत्पादन निगम बांसवाड़ा
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