एलएमसी से नहीं मिली मदद, इसलिए लीलवानी में रही गिरावट : – आंकड़े बताते हैं कि पावर हाउस नंबर एक की 25-25 मेगावाट की इकाइयों के मुकाबले लीलवानी में 45-45 मेगावाट की बड़ी इकाइयां होते हुए भी यहां इस बार बिजली उत्पादन मात्र 1 करोड़ 80 लाख यूनिट ही हुआ। इसके पीछे कागदी पिकअप वियर से एलएमसी के जरिए पानी नहीं छोडऩा रहा। इससे उत्पादन में काफी रही, वहीं माही के गेट बार-बार खोलने की मजबूरी से पानी जाया होता रहा।
लगातार बारिश का भी रहा अवरोध : – उत्पादन में अवरोध पावर हाउस नंबर एक में भी रहा। लगातार बारिश का क्रम बांसवाड़ा जिले और उधर माही बांध के जल आवक वाले मध्यप्रदेश के इलाकों में बना रहा। इससे माही से पानी लगातार लेने पर आगे कागदी की जल भराव क्षमता कम होने से ओवरफ्लो की मुसीबत बनी रही। ऐसे में जब-तब माही बांध से पावर हाउस में पानी की आवक रोकनी पड़ी और छोटी इकाइयां भी लगातार नहीं चल पाईं। इसके बाद भी उत्पादन निगम ने हर मौके को भुनाया, जिसके चलते यहां चार साल का सबसे ज्यादा उत्पादन हो पाया।
बेहतर रहा सत्र, अगली बार एलएमसी सुधरने की उम्मीद : -चार वर्षों में इस बार पावर हाउस नंबर एक से सर्वाधिक बिजली उत्पादन होना बेहतर रहा। लीलवानी की बड़ी इकाइयों पानी नहीं मिलने से मदद नहीं मिली, वरना उत्पादन डेढ़ गुना बढ़ता। जल संसाधन विभाग एलएमसी की मरम्मत में जुटा है। उम्मीद है, अगले मानसून सत्र में लगातार पानी मिलेगा तो बिजली उत्पादन नए रेकार्ड बनाएगा।…… दिलीप गेहानी, अधीक्षण अभियंता, विद्युत उत्पादन निगम बांसवाड़ा