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बांसवाड़ा

PICS : मौत को रहम करना नहीं आता है, फिर भी उसे सडक़ पर इस कदर चिढ़ाते हैं लोग… देखें तस्वीरें…

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5 years ago
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बांसवाड़ा. सडक़ हादसों में बढ़ती मौतें गवाह हैं, मौत बेरहम होती है। न उम्र देखती है न मासूमियत, बस ताक में रहती है। कब कोई जरा सा चूके और वह लपक ले। नहीं देखती कि गलती किसकी है, किसकी नहीं । जो चपेट में आ जाए, उसी को जकडऩे दौड़ पड़ती है। इसके बावजूद शहर की सडक़ों पर कदम-कदम पर मौत को चिढ़ाने वाले हालात थम नहीं रहे हैं। राजस्थान पत्रिका ने 7 दिन तक शहर की विभिन्न सडक़ों पर हाल देखा तो वाहन चालकों से लेकर जिम्मेदारों तक ज्यादातर लोग बेफिक्र नजर आए। यह हाल यातायात सप्ताह के दौरान रहा। 4 फरवरी से प्रारंभ हुआ यातायात सप्ताह का समापन 11 फरवरी को हुआ। इस दौरान सैकड़ों चालान बनाए गए और करीब 86 हजार रुपए जुर्माना वसूला गया।

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यंू नजर आई जानलेवा बेफिक्री... कई दोपहिया पर 3 से 5 तक लोग सवार नजर आए कई चालक बिना हेलमेट दोपहिया दौड़ा रहे थे अनेक दोपहिया चालक ऐसे भी, जिनके पास हेलमेट तो था लेकिन सिर पर लगाने की बजाय हाथ पर टांग लिया बिना हेलमेट वाले चालकों में कुछ लोग ऐसे भी, जो चलते दोपहिया पर मोबाइल पर बात कर रहे थे कई लडक़े-लड़कियों में चेहरे व बालों की सुरक्षा के प्रति तो फिक्र नजर आई लेकिन सिर की सुरक्षा के प्रति नहीं, उन्होंने चेहरे-सिर पर स्कार्फ बांधा हुआ था लेकिन हेलमेट नहीं लगाया

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नाबालिग भी चला रहे थे वाहन ऑटो-टैम्पो और टैक्सियां भीतर ठसाठस, बाहर तक सवारियां लटकी हुईं ओवरलोड वाहनों की सरपट भी कम नहीं, टै्रक्टर भी ओवरलोड लोडिंग टैम्पो में कहीं सरिये तो कहीं लकडिय़ां बॉडी से काफी बाहर तक, कोई आ भिड़े तो बचना मुश्किल वाहनों की स्पीड तो क्या कहिए, व्यस्ततम क्षेत्र में भी फर्राटा... पुलिसकर्मी भी नियमों की पलना करने के मामले में बेक्रिक

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सभी को समझना होगा पत्रिका की पड़ताल के दौरान सामने आया कि बाइक हो या कार, ऑटो हो या अन्य वाहन, हर किसी को पहले निकलने की जल्दी रहती है। यह होड़ और जल्दबाजी ही ज्यादातर हादसों का सबब बन रही है। शहर में यातायात-परिवहन से जुड़ा हर नियम धराशायी हो रहा है। बड़ी संख्या में लोग तो बेफिक्र हैं ही, जिम्मेदारों की अनदेखी भी कम नहीं है। कदम-कदम पर टूट रहे नियमों को देखने वाला मानो कोई नहीं है। यातायात सप्ताह के दौरान सडक़ों पर विशेष निगरानी रही। इस दौरान भी बेकिफ्री की जो तस्वीरें सामने आईं वह चिंताजनक है। सडक़ पर सुरक्षा बनी रहे। यह हम सभी के लिए जरूरी है। ऐसे में हर आम और खास नागरिक को सडक़ सुरक्षा के मायने समझने होंगे। सिर्फ औपचारिकताएं निभाने से कुछ हासिल नहीं होना है।

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