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कुप्रथा : बांसवाड़ा में पिछले 5 साल में सबसे ज्यादा इस वर्ष बाल विवाह कराने के प्रयास, प्रशासन ने रुकवाए

locationबांसवाड़ाPublished: Dec 19, 2018 12:24:26 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

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कुप्रथा : बांसवाड़ा में पिछले 5 साल में सबसे ज्यादा इस वर्ष बाल विवाह कराने के प्रयास, प्रशासन ने रुकवाए

बांसवाड़ा. इस आदिवासी अंचल में बाल विवाह की कुप्रथा कम होने का नाम नहीं ले रही है। गुपचुप तौर पर होने वाले बाल विवाह का तो कोई आंकड़ा सामने नहीं आता लेकिन प्रशासन की निगाह में जो बाल विवाह आ गए और उन्हें रुकवाया गया उनकी संख्या इस वर्ष 49 तक पहुंची है जो पिछले चार साल के मुकाबले ज्यादा है। वर्ष 2013-14 में 109 बाल विवाह रुकवाए गए थे। गत 6 वर्षों में शिक्षा का स्तर बढऩे के बाद भी बाल विवाह की कुप्रथा बनी हुई है।
गत चुनावी वर्ष में रुके थे 109 विवाह
वर्ष 2013 में बांसवाड़ा जिले में प्रशासन की ताबड़तोड़ कार्रवाई के कारण 12 माह में 109 बाल विवाह रुकवाए गए थे। यानी उस वर्ष जिले में 109 या उससे अधिक लोगों के द्वारा उनके बच्चों को बाल विवाह के बंधन में बांधने की तैयारी में थे, लेकिन रुकवा दिए गए। पिछले पांच वर्षों आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते चार वर्षों की तुलना में इस वर्ष अधिक बाल विवाह रुकवाए गए। इस वर्ष प्रशासन की कार्रवाई के तहत रुकवाए गए बाल विवाह का आंकड़ा भी कम नहीं। वर्ष 2018 में अप्रैल से लेकर नवंबर के बीच जिले में कुल 49 बाल विवाह रुकवाए गए, जो आंकड़ा पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक है।
बाल विवाह ऐसे पहुंचाता है नुकसान
ये बच्चे सोशल लाइफ अन्य बच्चों की तरह नहीं जी पाते। इनका बौद्धिक व शारीरिक विकास समुचित तरीके से नहीं हो पाता है। इन बच्चों में स्वयं निर्णय लेने की क्षमता नहीं रह जाती है, यह हमेशा दूसरों के आधार पर निर्णय लेते हैं। परिपक्वता न होने से इन्हें रिश्तों को निभाने की समझ नहीं होती। जिस कारण दाम्पत्य जीवन में क्लेश और आपसी विवाद बढ़ जाता है। शिक्षा में व्यवधान पडऩे पर इनका कॅरियर खत्म हो जाता है। शारीरिक रूप से परिपक्व न होने के कारण बच्चों में कुपोषण और अन्य शारीरिक अक्षमताओं की संभावना बढ़ जाती है।

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