मामले को लेकर जिला आयुर्वेद अधिकारी हामेंग पाटीदार ने बतायाकि आयुर्वेद चिकित्सकों के पाठ्यक्रम में भी प्रसव कराना, ऐलोपैथी से उपचार करना आदि सम्मलित है। यदि चिकित्सा विभाग उन्हें रोकता है तो यह बिल्कुल उचित नहीं है। वहीं, सेवारत चिकित्सक संघ आयुर्वेद के जिला अध्यक्ष घनश्याम भट्ट ने कहा कि आयुर्वेद विभाग के चिकित्सक उपचार कर सकते हैं। इसके एक-दो नहीं कई उदाहरण है जो इस बात को सिद्ध कर सकते हैं। हां, कम्पाउंड खुद चिकित्सक बन दवा नहीं दे सकता। लेकिन चिकित्सा विभाग आयुर्वेद विभाग के कम्पाउंडर पर नकेल कसाना चाहता है तो पहले चिकित्सा विभाग स्वयं उनके कम्पाउंडर पर नकेल कसे। क्योंकि गांवों में चिकित्सा विभाग के कम्पाउंडर धड़ल्ले से चिकित्सक बन दवाएं दे रहे हैं। और चिकित्सा विभाग आयुर्वेद चिकित्सकों पर कोई कार्रवाई करना चाहता है उसके लिए आयुर्वेद विभाग के उच्चाधिकारियों को लिखे।
आयुर्वेद विभाग के चिकित्सक एवं कम्पाउंडर कोई भी प्रसव, इंजेक्शन लगाना या ऐलोपैथी पद्धति से उपचार नहीं कर सकता। ऐसे लोगों की सूची तैयार कर ली गई है। जल्द कार्रवाई होगी।
डॉ. एचएल ताबियार, सीएमएचओ, बांसवाड़ा