चार प्रजातियां जहरीली
सेवानिवृत्त क्षेत्रीय वन अधिकारी सज्जनसिंह राठौड़ बताते हैं कि वागड़ अंचल में सर्पों की कई प्रजातियां हैं, लेकिन इसमें चार प्रजातियां विषैली हैं जो कोबरा, करैत, सास्केल्ड वाइपर और रसल वाइपर हैं। यह जुलाई से सितंबर माह की अवधि में अपने बिल से बाहर आते हैं। ठंड की शुरुआत होते ही यह कम दिखाई देते हैं। वागड़ के बांसवाड़ा व डूंगरपुर में यह विशेष रूप से पानी और नमी तथा 20 से 30 डिग्री तापमान वाले इलाकों में अधिक दिखाई देते हैं।
सेवानिवृत्त क्षेत्रीय वन अधिकारी सज्जनसिंह राठौड़ बताते हैं कि वागड़ अंचल में सर्पों की कई प्रजातियां हैं, लेकिन इसमें चार प्रजातियां विषैली हैं जो कोबरा, करैत, सास्केल्ड वाइपर और रसल वाइपर हैं। यह जुलाई से सितंबर माह की अवधि में अपने बिल से बाहर आते हैं। ठंड की शुरुआत होते ही यह कम दिखाई देते हैं। वागड़ के बांसवाड़ा व डूंगरपुर में यह विशेष रूप से पानी और नमी तथा 20 से 30 डिग्री तापमान वाले इलाकों में अधिक दिखाई देते हैं।
इन जिलों का चयन
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जीवी रेड्डी ने बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, राजसमंद, सिरोही के माउण्ट आबू के उप वन संरक्षकों को पत्र लिखकर इसका कार्यक्रम भेजा है। आदेशानुसार डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा में उप वन संरक्षक की निगरानी में एक से 30 सितंबर तक, राजसमंद एवं माउण्ट आबू में एक से 30 नवंबर व अगले साल एक मार्च से 31 मई तक, जोधपुर एवं जैसलमेर में अगले साल एक जून से 31 जुलाई तक, बीकानेर में एक से 31 अगस्त, 2019 तक सांपों का विष निकालकर एकत्र किया जाएगा।
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जीवी रेड्डी ने बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, राजसमंद, सिरोही के माउण्ट आबू के उप वन संरक्षकों को पत्र लिखकर इसका कार्यक्रम भेजा है। आदेशानुसार डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा में उप वन संरक्षक की निगरानी में एक से 30 सितंबर तक, राजसमंद एवं माउण्ट आबू में एक से 30 नवंबर व अगले साल एक मार्च से 31 मई तक, जोधपुर एवं जैसलमेर में अगले साल एक जून से 31 जुलाई तक, बीकानेर में एक से 31 अगस्त, 2019 तक सांपों का विष निकालकर एकत्र किया जाएगा।
इनका कहना है
सीसीएमबी को दी गई अनुमति की जानकारी है। हालांकि केंद्र के अधिकारियों ने अभी संपर्क नहीं किया है। शोध को लेकर उन्हें आवश्यक सहयोग किया जाएगा।
एसआर जाट, उप वन संरक्षक, बांसवाड़ा।
सीसीएमबी को दी गई अनुमति की जानकारी है। हालांकि केंद्र के अधिकारियों ने अभी संपर्क नहीं किया है। शोध को लेकर उन्हें आवश्यक सहयोग किया जाएगा।
एसआर जाट, उप वन संरक्षक, बांसवाड़ा।