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बांसवाड़ा जिले में मनरेगा का सच- यहां अफसर मस्त, गर्मी में श्रमिक त्रस्त, सरकार के दावे पस्त

locationबांसवाड़ाPublished: May 28, 2020 06:16:37 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

MGNREGA NEWS, MGNREGA WORK IN BANSWARA : पत्रिका पड़ताल- दूसरे दिन भी अफसरों ने नही दिया ध्यान, मनरेगा में 3 लाख से अधिक श्रमिक कार्यरत है बांसवाड़ा में

बांसवाड़ा जिले में मनरेगा का सच- यहां अफसर मस्त, गर्मी में श्रमिक त्रस्त, सरकार के दावे पस्त

बांसवाड़ा जिले में मनरेगा का सच- यहां अफसर मस्त, गर्मी में श्रमिक त्रस्त, सरकार के दावे पस्त


बांसवाड़ा. जनजाति बाहुल बांसवाड़ा जिले में मनरेगा के तहत 3 लाख से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं। इसके बावजूद कार्यस्थलों पर सुविधाओं के नाम पर महज कागजी दावे ही किए जा रहे है। प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से भी ध्यान नही देने से श्रमिक गर्मी में कार्यस्थलों पर परेशान हो रहे है। इसके अलावा निगरानी के अभाव में कई जगह पर गड़बडिय़ां भी हो रही हैं। पत्रिका ने मनरेगा कार्यस्थलों की दूसरे दिन भी पड़ताल की तो अधिकांश कार्यस्थलों पर आवश्यक सुविधाओं का अभाव था।
समूह में भोज, पानी के लिए लगती दौड़
देवगढ़ पंचायत के वखतपुरा में मनरेगा कार्य स्थल पर श्रमिक गर्मी में तपते दिखे। यहां भोजन के दौरान भी महिलाएं समूह में बैठी हुई थी। पानी के लिए भी श्रमिक गर्मी में दो से तीन किलोमीटर दूर हैंडपंप तक दौड़ लगाने को मजबूर दिखे। मास्क, सेनेटाइजर, छाया आदि की व्यवस्थाएं भी नही हैं। श्रमिकों में मोती ने बताया कि दवा, पानी कुछ भी व्यवस्थान नही हैं। सरपंच शंभूलाल का कहना है कि कार्यस्थलों पर आगामी समय में पूरी व्यवस्थाएं की जाएंगी। पानी को लेकर समस्या जरूर है। मेट छगनलाल ने बताया कि 66 श्रमिक कार्यरत है। यहां पानी सहित अन्य कोई भी व्यवस्था नही है। मुझे व्यवस्था करने को लेकर भी किसी प्रकार की जानकारी नही हैं।
117 का मस्टररोल, मौके पर कम
कुशलगढ़. ग्राम पंचायत बड़वास बड़ी में चल रहे तालाब गहरीकरण कार्य में मस्टररोल में 117 श्रमिक इंद्राज थे, लेकिन मौके पर कम थे। यहां छाया, पानी जैसी व्यवस्थाएं नही थी। पानी के इंतजाम भी नहीं होने से श्रमिक हैंडपंपों की ओर दौड़ लगाते दिखे।
छाया, पानी, दवा, कुछ भी नहीं यहां
जौलाना. क्षेत्र में मनरेगा कार्य स्थलों पर पालना, छाया, पानी, दवा व्यवस्था का अभाव हैं। प्रशासनिक स्तर पर निगरानी नहीं होने से मनमर्जी की स्थितियां भी हैं। मनरेगा का समय सुबह 6 बजे से हैं, लेकिन अधिकांश पंचायतों में श्रमिक सात बजे बाद उपस्थिति दे रहे हैे। ग्राम पंचायत नाहली के नई आबादी में मैडबंदी का कार्य में 64 में से 60 मजदूर उपस्थित थे। यहां गर्मी में श्रमिक तपते दिखे।
श्रमिक का स्वास्थ्य बिगड़ा, फिर भी नहीं की व्यवस्था
छोटी सरवा. ग्राम पंचायत छोटी सरवा के हवा रुंडी गांव में मनरेगा कार्यस्थल पर सुबह 11 बजे तक श्रमिकों की हाजिरी ही नहीं ली गई थी। कार्यस्थल पर पानी, दवा, छाया की व्यवस्था नहीं थी। गर्मी में श्रमिक पेड़ों की छांव ढूढ़ते नजर आए। मेट के पास रजिस्टर का भी अभाव था। 145 में से 138 श्रमिक कार्यरत थे। श्रमिकों के लिए मास्क की व्यवस्था भी नही थी। यहां एक दिन पूर्व गर्मी में एक महिला का स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद दवा, पानी सहित अन्य इंतजामात नही किए गए थे।
पानी के लिए एक किलोमीटर दौड़
सरेड़ी बड़ी. कस्बे के भगोरा फला में मनरेगा कार्यस्थल पर श्रमिक गर्मी में परेशान दिखे। मस्टररोल के अनुसार 76 श्रमिकों का नाम दर्ज थे, लेकिन मौके पर 40 ही मौजूद थे। दवा व पानी की सुविधा भी नही थी। पानी के लिए भी श्रमिक एक किलोमीटर की दौड़ लगाते दिखे।
यहां भी नहीं मिली सुविधाएं
डडूका. मलाना पंचायत के फलाबारा में चल रहे नरेगा कार्य स्थलों पर श्रमिकों के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था नही थी। छांव के लिए गर्मी में श्रमिक आसपास पेड़ों की ओर दौड़ लगाते दिखे। मस्टररोल में दर्ज श्रमिकों की संख्या भी कम थी।
ग्यारज बजे तक मस्टरोल उपस्थिति कॉलम रिक्त
घाटोल. खमेरा पंचायत में नरेगा के तहत ग्यारह बजे पड़ताल श्रमिकों की हाजिरी ही नहीं भरी थी। कार्यस्थल पर सोशल डिस्टेंस का भी अभाव था। श्रमिकों को मास्क, सेनेटाइजर की व्यवस्था भी नहीं की गई थी। पानी सहित अन्य व्यवस्थाएं भी नही थी।
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