मदर मिल्क बैंक की स्थापना के साथ ही जिले की महिलाओं को दूध दान करने के लिए परामर्श दिया गया, जिसके चलते शुरुआती वर्ष 2017 में कुल 1314 धात्री माताओं की ओर से 2016 बार में 2,13,160 मिलीलीटर दुग्ध दान स्वरूप प्रदान किया गया। जिससे कुल 6908 यूनिट का निर्माण किया गया। इस दुग्ध से चिकित्सालय में भर्ती एवं कम्युनिटी में 857 नवजात शिशुओं को लाभान्वित करते हुए 6487 यूनिट दुग्ध नि:शुल्क उपलब्ध करवाया गया। वहीं वर्ष 2018 में यह आंकड़ा बढ़ गया। इस वर्ष 2916 माताओं ने 3047 बार में 2 लाख 61 हजार 985 मिलीलीटर दूध का दान कर 8448 यूनिट दूध तैयार किया गया। जहां पर गत वर्ष 857 बच्चों को दूध दान किया गया वहीं वर्ष 2018 में 1636 वहीं इस वर्ष में अब तक 779 बच्चों को दूध का दान किया जा चुका है।
स्टॉक भी बढ़ा
जहां पर मदर मिल्क बैंक में गत वर्ष 314 यूनिट दूध स्टॉक में था वहीं वर्तमान में इसका स्टॉक बढकऱ 720 यूनिट कर दिया है। यह स्टॉक उन बच्चों के लिए है जिन्हें मां का दूध किसी कारण से समय पर नहीं मिल पाता है और इससे वो कुपोषण का शिकार हो जाते हैंंं।
जहां पर मदर मिल्क बैंक में गत वर्ष 314 यूनिट दूध स्टॉक में था वहीं वर्तमान में इसका स्टॉक बढकऱ 720 यूनिट कर दिया है। यह स्टॉक उन बच्चों के लिए है जिन्हें मां का दूध किसी कारण से समय पर नहीं मिल पाता है और इससे वो कुपोषण का शिकार हो जाते हैंंं।
सर्वाधिक दूध दान किया दसिता ने
जिले में आंचल मदर मिल्क बनने के बाद अब तक जिले में सर्वाधिक दूधदान करने वाली महिला दसिता बन गई है। बादरेल निवासी दसिता पत्नी पंकज ने अब तक सर्वाधिक 11 बार में 2820 मिलीलीटर अपना दूध दान किया है। गांव की यह महिला दूध दान कर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रही है। उन्सका मानना है कि इससे किसी भी नवजात को जीवन मिलता है तो यह एक सुखद बात है।
जिले में आंचल मदर मिल्क बनने के बाद अब तक जिले में सर्वाधिक दूधदान करने वाली महिला दसिता बन गई है। बादरेल निवासी दसिता पत्नी पंकज ने अब तक सर्वाधिक 11 बार में 2820 मिलीलीटर अपना दूध दान किया है। गांव की यह महिला दूध दान कर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रही है। उन्सका मानना है कि इससे किसी भी नवजात को जीवन मिलता है तो यह एक सुखद बात है।
इनका कहना है..
बच्चों को स्वयं का दूध पिलाने एवं दूधदान करने को लेकर लोगों की सोच बदलने लगी है। बांसवाड़ा जैसे क्षेत्र में भी माताओं ने दूधदान के महत्व को समझा है। इसी कारण डेढ़ साल में ही इसके अच्छे परिणाम सामने आए है।
डॉ. देवेन्द्र अग्रवाल, राज्य प्रभारी एवं सलाहकार आंचल मदर मिल्क बैंक जयपुर
बच्चों को स्वयं का दूध पिलाने एवं दूधदान करने को लेकर लोगों की सोच बदलने लगी है। बांसवाड़ा जैसे क्षेत्र में भी माताओं ने दूधदान के महत्व को समझा है। इसी कारण डेढ़ साल में ही इसके अच्छे परिणाम सामने आए है।
डॉ. देवेन्द्र अग्रवाल, राज्य प्रभारी एवं सलाहकार आंचल मदर मिल्क बैंक जयपुर
महत्व समझा है
बांसवाड़ा की माताओं को दूध दान का महत्व समझने आने लगा है। यहां पर मदर मिल्क बैंक में महिलाएं अब निसंकोच दूध दान करने पहुंच रही हंै। गत वर्ष की तुलना में यह संख्या अब दोगुनी से अधिक हो गई है। नवजात बच्चों को भी समय पर दूध मिलने लगा है।
पूनम शर्मा, समन्वयक आंचल मदर मिल्क बैंक बांसवाड़ा
बांसवाड़ा की माताओं को दूध दान का महत्व समझने आने लगा है। यहां पर मदर मिल्क बैंक में महिलाएं अब निसंकोच दूध दान करने पहुंच रही हंै। गत वर्ष की तुलना में यह संख्या अब दोगुनी से अधिक हो गई है। नवजात बच्चों को भी समय पर दूध मिलने लगा है।
पूनम शर्मा, समन्वयक आंचल मदर मिल्क बैंक बांसवाड़ा