भजनों पर थिरके श्रृदालुओं के कदम
कथा के मध्य जैसे ही जयमाल दीदी ने भजन राम धून लागी, गोपाल धून लागी गाया तो भक्तजन भक्ति में भाव विभोर होकर भक्ति के रंग में थिरकने लगे। इसके साथ ही मीरा के प्रभु गिरधर नागर आदि भजन प्रस्तुत किए।
कथा के मध्य जैसे ही जयमाल दीदी ने भजन राम धून लागी, गोपाल धून लागी गाया तो भक्तजन भक्ति में भाव विभोर होकर भक्ति के रंग में थिरकने लगे। इसके साथ ही मीरा के प्रभु गिरधर नागर आदि भजन प्रस्तुत किए।
‘शिक्षा के साथ संस्कार भी आवश्यक’
मठ में धार्मिक कार्यक्रम के दौरान साध्वी जयमाला ने हम सभी को बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार देने की बात कही। कथा के पहले दिन उन्होंने ने बताया कि बच्चे शिक्षा तो प्राप्त कर ही रहे हैं, लेकिन संस्कार भूल रहे हैं। संस्कारवान नई पीढ़ी ही उनके जीवन को सफल और सार्थक कर सकती है।
मठ में धार्मिक कार्यक्रम के दौरान साध्वी जयमाला ने हम सभी को बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार देने की बात कही। कथा के पहले दिन उन्होंने ने बताया कि बच्चे शिक्षा तो प्राप्त कर ही रहे हैं, लेकिन संस्कार भूल रहे हैं। संस्कारवान नई पीढ़ी ही उनके जीवन को सफल और सार्थक कर सकती है।
कथा में एकाग्रता, साधना व श्रद्धा जरूरी
कथा के दौरान महंत हरिओमदास ने वक्ता में 32 लक्षण के साथ ही कथा के लिए एकाग्रता, साधना और श्रद्धा बेहद आवश्यक होने की बता कही। उन्होंने कहा कि भगवान का नाम बंधन से मुक्त करता है। अगर भगवान की पूजा अर्चना करने का समय नहीं है तो सिर्फ भगवान का स्मरण कर भगवन नाम का जाप करते रहें इसी से भगवान प्रसन्न होते हंै।
कथा के दौरान महंत हरिओमदास ने वक्ता में 32 लक्षण के साथ ही कथा के लिए एकाग्रता, साधना और श्रद्धा बेहद आवश्यक होने की बता कही। उन्होंने कहा कि भगवान का नाम बंधन से मुक्त करता है। अगर भगवान की पूजा अर्चना करने का समय नहीं है तो सिर्फ भगवान का स्मरण कर भगवन नाम का जाप करते रहें इसी से भगवान प्रसन्न होते हंै।