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नेशनल कैमरा डे विशेष : मोबाइल कैमरे से खत्म हो गई आर्ट फोटोग्राफी, अब हर कोई ले रहा सेल्फी

locationबांसवाड़ाPublished: Jun 29, 2018 11:43:26 am

Submitted by:

Ashish vajpayee

तब पापा ने जन्मदिन पर गिफ्ट किया था कैमरा

banswara

नेशनल कैमरा डे विशेष : मोबाइल कैमरे से खत्म हो गई आर्ट फोटोग्राफी, अब हर कोई ले रहा सेल्फी

बांसवाड़ा. आज के युग को कैमरा युग कहें तो अतिशयोक्ति नही होगी। आसमान से पाताल तक खोजबीन और निगरानी में कैमरे की तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। हर हाथ में मोबाइल कैमरों से सेल्फी का विश्व में डंका बज रहा है। इन सबके बीच आपकी मुलाकात बांसवाड़ा के ऐसे फोटोग्राफर से करा रहे है जो तकनीकी के युग में लुप्त हो रहे फोटोग्राफी के सृजन से चिंतित है। फोटोग्राफर पुष्पेंद्र उर्फ पिंकू सराफ एवं राजीव सराफ उर्फ कक्कु का मानना है कि पहले फोटोग्राफी आर्ट हुआ करती थी।
फोटो खींचने से लेकर डार्क रूम में फोटो डवलप करना एक कला थी, लेकिन डिजीटल-मोबाइल कैमरे के साम्राज्य के बाद आर्ट फोटोग्राफी समाप्त हो गई हैं। 1955 में जन्मे सराफ की फोटोग्राफी की यात्रा लंबी हैं। पांचवीं में पापा ने जन्मदिन पर जब फोल्डिंग कैमरा गिफ्ट किया तो यहीं से क्लिक का कमाल शुरू हुआ। वे फोटो खींचकर लाते एवं पापा को देते थे। 1968 से नियमित फोटोग्राफी शुरू की। कांट्रेक्ट प्रिंट बनाना भी शुरू किया। उनके पास शहर के कई पुराने फोटो आज भी सुरक्षित हैं।
हर शॉट होता था शूट शॉट
बकौल सराफ राज्य में लीडिंग फोटोग्राफी के साथ ही पहली बार बोलती फिल्म की बांसवाड़ा में शूटिंग की थी। इसके साथ ही ट्वीन लैंस, प्लेट, मूवी एवं डिजीटल कैमरा भी पहली बार हम लेकर आए। उस जमाने में फोटोग्राफी फेयर से डिजीटल कैमरा खरीदा था। सराफ के पास कई कैमरे सुरक्षित हैं। वे बताते हैं कि रील कैमरे से फोटोग्राफी के दौरान हर शॉट शूट शॉट होता था। अब तो फोटो खीचो एवं फोटोशॉप से मनचाहा एंगल दे दो।
मुम्बई जाते थे कैमरा खरीदने
राजीव सराफ उर्फ कक्कू को विरासत में फोटोग्राफी का हुनर मिला हैं। वे बताते है कि उस जमाने में दस रुपए का कैमरा पिता ने गिफ्ट किया था। 1975 से फोटोग्राफी शुरू की। पहले फोटोग्राफी में फिनीशिंग, टचिंग का विशेष महत्व होता था। पहले जो कैमरे होते थे, उसमें कपड़ा ढककर देखते थे। बाद में लैंस की कैप हटाकर काउंटिंग कर फोटो शूट होता था। उस जमाने तक कैमरे के लिए खरीदी के लिए मुंबई जाते थे।
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