बकौल सराफ राज्य में लीडिंग फोटोग्राफी के साथ ही पहली बार बोलती फिल्म की बांसवाड़ा में शूटिंग की थी। इसके साथ ही ट्वीन लैंस, प्लेट, मूवी एवं डिजीटल कैमरा भी पहली बार हम लेकर आए। उस जमाने में फोटोग्राफी फेयर से डिजीटल कैमरा खरीदा था। सराफ के पास कई कैमरे सुरक्षित हैं। वे बताते हैं कि रील कैमरे से फोटोग्राफी के दौरान हर शॉट शूट शॉट होता था। अब तो फोटो खीचो एवं फोटोशॉप से मनचाहा एंगल दे दो।
राजीव सराफ उर्फ कक्कू को विरासत में फोटोग्राफी का हुनर मिला हैं। वे बताते है कि उस जमाने में दस रुपए का कैमरा पिता ने गिफ्ट किया था। 1975 से फोटोग्राफी शुरू की। पहले फोटोग्राफी में फिनीशिंग, टचिंग का विशेष महत्व होता था। पहले जो कैमरे होते थे, उसमें कपड़ा ढककर देखते थे। बाद में लैंस की कैप हटाकर काउंटिंग कर फोटो शूट होता था। उस जमाने तक कैमरे के लिए खरीदी के लिए मुंबई जाते थे।