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बांसवाड़ा : नेशनल स्कूल एथलीट डे विशेष : पथरीले मैदानों पर कैसे निखरे खेलों की प्रतिभा

locationबांसवाड़ाPublished: Apr 06, 2018 01:23:05 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

प्रशिक्षण और संसाधनों की कमी प्रतिभाओं के लिए बाधक

banswara
बांसवाड़ा. केंद्र सरकार की खेलो इंडिया से लेकर जिले में खेल प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए स्पद्र्धाओं के आयोजन तो हो रहे हैं, लेकिन प्रशिक्षण और संसाधनों की कमी जिले में प्रतिभाओं के आगे आने में बाधक बन रही है। खेल प्रतिभाओं को अवसर स्कूल स्तर पर मिलना चाहिए, लेकिन खेलों की धुरी कहे जाने वाले विद्यालयों में कहीं पथरीले मैदान हैं तो कहीं खेलने का स्थान ही नहीं। इन हालात में कैसे मिल्खासिंह और पीटी उषा जैसे खिलाडिय़ों को तैयार किया जा सकता है। नेशनल स्कूल एथलीट डे पर जिले की स्थितियों को सामने रखती विशेष रिपोर्ट।
जिले में प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा की ओर से शिविरा पंचांग के अनुसार विद्यालय से लेकर जिला स्तर पर खेलकूद स्पद्र्धाएं आयोजित होती हैं, लेकिन बजट के अभाव में स्कूलों में खेलों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। विद्यालयों के भौतिक विकास के लिए सरकार भामाशाहों के भरोसे है तो खेलकूद स्पद्र्धाओं के लिए बजट का प्रावधान नहीं के बराबर है। राज्य स्तरीय स्पद्र्धाओं के लिए भी बजट ऊंट के मुंह में जीरे के समान मिलता है।
प्रशिक्षक भी नहीं
प्रतिभा निखारने के लिए प्रशिक्षकों की कमी भी साफ झलक रही है। जिले में प्रथम श्रेणी से लेकर तृतीय श्रेणी के शारीरिक शिक्षकों के सैकड़ों पद रिक्त हैं। जहां शारीरिक शिक्षक हैं, उनमें अधिकांश को पोषाहार का जिम्मा दे रखा है, जिससे खेल अभ्यास कराने के लिए समय निकालना मुश्किल भरा होता है। इसके अलावा विद्यालयों में खेल मैदानों की कमी भी अखर रही है। प्राथमिक विद्यालयों में खेल मैदान का नितांत अभाव है तो माध्यमिक स्तर के विद्यालय भी खेल मैदान को तरस रहे हैं।
यह है स्थिति
शाला दर्पण पोर्टल के अनुसार माध्यमिक शिक्षा में प्रथम श्रेणी के शारीरिक शिक्षकों के स्वीकृत दस पदों में से मात्र दो कार्यरत हैं और आठ पद खाली हैं। वहीं द्वितीय श्रेणी के शारीरिक शिक्षकों के स्वीकृत 127 में से 88 तथा तृतीय श्रेणी के 279 में से 260 ही कार्यरत हैं। 184 विद्यालयों में खेल मैदान ही नहीं हैं। प्रारंभिक शिक्षा में भी कमोबेश यही स्थिति है। यहां शारीरिक शिक्षक के कुल स्वीकृत 359 पदों में से 182 कार्यरत हैं और 177 पद खाली हैं।
बजट का टोटा
जानकारी के अनुसार खेल प्रतियोगिताओं के लिए सरकार की ओर से बजट ही नहीं दिया जाता है। विद्यालय से जिला स्तर की प्रतियोगिता में खिलाडिय़ों की संख्या के अनुसार स्कूल के छात्र कोष से दो से पांच रुपए तक की राशि आयोजक विद्यालय में जमा कराई जाती है। छात्र कोष का उपयोग करने के पीछे मजबूरी यह है कि प्रारंभिक शिक्षा के राजकीय विद्यालयों में फीस नहीं ली जाती है। माध्यमिक स्तर पर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता होने पर 50 हजार रुपए की राशि मिलती है, लेकिन 33 जिलों से आने वाले खिलाडिय़ों के ठहरने, भोजन आदि के लिए अतिरिक्त राशि की व्यवस्था भामाशाह के भरोसे ही होती है।
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