ट्राइब मेडिफेस्ट 2019 : आदिवासी अंचल के डॉक्टर बनेंगे पिछड़ों-निर्धनों का सहारा, निशुल्क शिविर लगाकर करेंगे उपचार मुख्य अतिथि जीजीटीयू के कुलपति प्रो कैलाश सोडानी ने कहा कि भील व आदिवासियों के जीवन में निर्मलता देखने को मिलती है। दूध न बेचना, मकानों के ताले नहीं लगाना एेसे कई उदाहरण है, जिन व्यवहारों से भीलों के एक अलग ही दर्शन की पुष्टि होती है। आयोजन सचिव डॉ महेन्द्र प्रसाद सलारिया ने संस्कृति व वेदों के उदाहरण के माध्यम से भील दर्शन को रेखांकित किया। संगोष्ठी में दिल्ली विवि से आई प्रो सुनीता गोस्वामी ने भी विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य ने भील दर्शन व संगोष्ठी की उपयोगिता विषयक जानकारी दी। समारोह का संचालन व्याख्याता लोकेन्द्र कलाल ने किया। इससे पूर्व तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें 12 संभागियों ने पत्र वाचन किया। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता शैलेन्द्र भट्ट ने की एवं मुख्य अतिथि डॉ लक्ष्मण परमार थे।