बांसवाड़ा : 90 नवजातों की मौत के बाद भी नहीं ले रहे सबक, जन्म से ही टूटे नवजात के पैर का तीन दिन बाद किया उपचार
दो दिन पहले भी अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से हुई थी नवजात की मौत...

बांसवाड़ा. महात्मा गांधी अस्पताल में चिकित्सकों और जिम्मेदार कार्मिकों की बेरुखी का दर्द रह-रहकर मासूमों को भुगतना पड़ रहा है। दो दिन पहले चिकित्सकों की बेरुखी के कारण मासूम की मौत और उसे मृत घोषित न करने का मामला ठंडा नहीं पड़ा और अब एफबीएनसी वार्ड में ही मासूम का सही तरीके से उपचार न करने का मामला सामने आया है। जहां चिकित्सकों की नजरअंदाजी के कारण बच्चे को तीन दिन तक दर्द सहना पड़ा।
दरअसल, डूंगराछोटा के मोटापाड़ा गांव की धूली पत्नी कांति निनामा ने 6 मई को सामान्य प्रसव से बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के पूर्ण स्वस्थ्य न होने के कारण जन्म के कुछ ही समय बाद उसे एफबीएनसी वार्ड में भर्ती किया। जहां चिकित्सकों ने महसूस किया कि उसका दायां पैर हिलडुल नहीं रहा। एक्स-रे कराने पर बच्चे के दाईं जांघ की हड्डी का टूटना सामने आया। रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सक ने दूसरे दिन दिन प्लास्टर के लिए लिखा, लेकिन बच्चे को 9 मई की शाम पांच बजे के बाद प्लाटर चढ़ाया गया। ऐसे में तीन दिन तक बच्चा दर्द के कारण बिलखता रहा।
प्लास्टर में भी गड़बड़ी
नौ मई की शाम को बच्चे के जो प्लाटर चढ़ाया गया, वो भी उचित तरीके से नहीं चढ़ाया गया। प्लास्टर चढ़ाने के बाद कराए एक्सरे में भी हड्डी पूर्व की भांति ही दिखाई पड़ रही थी।
पहले बच्चे में ही इतना दर्द
पहली बार पिता बने कान्तु उर्फ कांति ने बताया कि उसकी पत्नी ने पहले बच्चे को जन्म दिया है। पूरे परिवार में खुशियां थी, लेकिन जब बच्चे ने रोना शुरू किया तो सभी परेशान होने लगे। डॉक्टर ने बच्चे का पैर टूटा होने की जानकारी दी। और प्लास्टर चढ़ाने के लिए बोला। परिजन कई बार प्लास्टर चढ़ाने के लिए दौड़े, लेकिन सुबह-शाम, सुबह-शाम कह कर टरकाया जाता रहा।
आयोग ने लिया संज्ञान
दो दिन पहले बच्चे को मृत घोषित न करने के मामले में बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुवेर्दी ने मामले की पड़ताल को लेकर जानकारी मांगी। इस संबंध में बताया कि पीएमओ डॉ. अनिल भाटी से इस बाबत चर्चा हुई। जिन्होंने जांच करने की बात कही। साथ ही बताया कि इस प्रकार के मामले दोबारा न होने के लिए भी पाबंद किया है। वहीं, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष हरीश त्रिवेदी ने बताया इस मामले में रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सक की खामी सामने आई। जिसको लेकर आगे कार्रवाई की जाएगी।
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