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प्रसूता का डॉक्टरों ने निकाला गर्भाशय, उखड़े परिजनों ने किया हंगामा

locationबांसवाड़ाPublished: Nov 11, 2018 12:40:02 am

Submitted by:

abdul bari

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प्रसूता का डॉक्टरों ने निकाला गर्भाशय, उखड़े परिजनों ने किया हंगामा

प्रसूता का डॉक्टरों ने निकाला गर्भाशय, उखड़े परिजनों ने किया हंगामा

बांसवाड़ा
दाहोद मार्ग स्थित एक निजी हॉस्पीटल में शनिवार शाम एक प्रसूता के ऑपरेशन के कुछ देर बाद नवजात बच्ची की मौत हो गई। ऑपरेशन के दौरान प्रसूता की बच्चेदानी भी निकाले जाने पर बाद में परिजन उखड़ गए और चिकित्सक-स्टाफ पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए घंटों तक बहसबाजी करते रहे। इस दौरान रात साढ़े दस बजे तक अस्पताल में बवाल मचा रहा। उसके बाद भी प्रसूता के परिजन और चिकित्सकों में बातचीत का दौर जारी रहा।
जानकारी के मुताबिक मूंगाणा, धरियावद निवासी प्रसूता निकिता (30) पत्नी राजेश जैन के ननदोई कल्पेश जैन ने बताया कि डिलेवरी का समय होने पर सुबह करीब 11 बजे निकिता को वे यहां लाए थे। पहले एक बच्ची नॉर्मल होने से डॉक्टर शैलेंद्र जैन ने यह डिलेवरी भी नॉर्मल होने का आश्वासन दिया। कुछ देर बाद डाक्टरों ने कहा कि प्रसूता के साथ कुछ समस्या है। परिजनों ने आरोप लगाया कि उसी समय उन्होंने सिजेरियन करने को कह दिया, लेकिन डॉक्टर और स्टाफ ने टाला। फिर शाम छह बजे अचानक ऑपरेशन किया गया, जिसमें गर्भाशय नहीं निकालने पर मां की जान का खतरा बताया गया। फिर गर्भाशय निकाल दिया गया।
इस दौरान, पैदा हुई बच्ची की धडक़न कम चलने की शिकायत पर चिकित्सक ने इलाज शुरू किया, लेकिन कुछ देर में उसने भी दम तोड़ दिया। इससे बच्ची खोने के साथ निकिता गर्भाशय निकालने से अब हमेशा के लिए मां बनने से वंचित हो गई। निकिता के पांच साल की एक बेटी है। जैन ने इस मामले में पुलिस केस करने की बात कही, हालांकि रात 11 बजे तक कोई कोतवाली नहीं पहुंचा।
अस्पताल प्रबंधन का लापरवाही से इनकार
दूसरी ओर, अस्पताल प्रबंधक निलेश जैन ने इस केस में किसी तरह की लापरवाही बरतने से साफ इनकार किया। उन्होंने कहा कि प्रसूता की हर स्थिति से परिजनों को वाकिफ करवाते हुए कदम बढ़ाए गए। दुर्भाग्य से बच्ची नहीं बची और जच्चा को बचाने के लिए बच्चेदानी निकालनी पड़ी।
इनका कहना है…
हमेशा प्रयास रहता है कि बगैर ऑपरेशन डिलेवरी हो जाए। अचानक गंभीर हालत होने पर ऑपरेशन करना पड़ा। बच्चेदानी नहीं निकालने पर संक्रमण से प्रसूता की जान को खतरा था। नवजात की हार्ट बीट कम होने पर बाल रोग विशेषज्ञ ने काफी प्रयास किए, लेकिन बचाने में सफलता नहीं मिली।
डॉ. शैलेंद्र जैन, गायनिकोलॉजिस्ट, निजी हॉस्पीटल
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