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हार्ट अटैक आए तो दौड़ो 300 किमी!

locationबांसवाड़ाPublished: May 02, 2016 11:43:00 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

पल में जान ले लेने वाले रोग के मरीजों के लिए बांसवाड़ा के सरकारी अस्पताल में प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था नहीं, सवा लाख की शहरी आबादी और तकरीबन 20 लाख की जिले की आबादी वाले बांसवाड़ा शहर में दिल के मरीजों की उपचार की व्यवस्था नहीं

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हृदयघात यानी हार्ट अटैक एक एेसी बीमारी है जो चंद सेकेंड में जान ले लेती है। इसके बावजूद राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। यहां के जिम्मेदारों के हाल एेसे हैं कि हार्ट पेशेंट के लि बनाए गए कार्डिक वार्ड में सीमेंठट की बोरियां रखवा दी गई हैं।
जिले के हृदय रोगियों की सुविधा के लिए एमजी अस्पताल में करीब आठ वर्ष पहले शुरू की गई गहन हृदय चिकित्सा इकाई की राज्य में सरकार बदलने के साथ ही ‘मौत’ हो गई। सरकार बदलने के साथ इस इकाई पर ताला लग गया।
फिर और समय निकला तो अब इकाई के भवन को सीमेंट के गोदाम बना डाला है। पिछले सात में इस इकाई को शुरू करने के कोई प्रयास नहीं हुए। दूसरी ओर ह्रदय रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। जिस रोग के उपचार में कुछ पल की देरी मौत का कारण बन जाती है उसमें भी रोगियों को अहमदाबाद व उदयपुर की दौड़ लगानी पड़ रही है।
राज्य के दूरस्थ क्षेत्र में शुमार बांसवाड़ा के हृदय रोगियों को राहत देने के लिए तत्कालीन चिकित्सा मंत्री भवानी जोशी ने 24 अगस्त 2008 एमजी अस्पताल में अलग से गहन हृदय चिकित्सा इकाई शुरू करवाई थी।
इसके लिए उस समय प्रशिक्षित चिकित्सक व स्टॉफ भी नियुक्त किया था। 2008 में सरकार बदलने के बाद इस इकाई के दिन भी बदल गए और कुछ ही महीनों में इसे बंद करना पड़ा। तब से आज तक इस पर ताला लगा है। इसमें महंगे चिकित्सकीय उपकरण लगे हुए हैं लेकिन प्राथमिक उपचार तक की सुविधा नहीं रही।
गोदाम बना दिया


लाखों रुपए की लागत से बनी इस इकाई को इन दिनों गोदाम की तरह काम में लिया जा रहा है। यहां एक ठेकेदार ने सीमेन्ट के कट्टे भर रखे हैं।
जान पर बन आती है

शहर में कोई भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं होने से अधिकांश हृदय रोगियों को प्राथमिक उपचार के बाद अहमदाबाद या उदयपुर ले जाना पड़ता है। सरकारी अस्पताल में तो कई बार हृदय रोगियों को प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल पाता है।
देखकर दुख होता है


पूर्व चिकित्सा मंत्री भवानी जोशी ने बताया कि उन्होंने मंत्री रहते हुए मेहनत से हृदय चिकित्सा इकाई शुरू करवाई थी। इसमें प्रशिक्षित स्टाफ के साथ आवश्यक उपकरण लगवाए थे। बाद में कोई भी इसे संभाल नहीं सका। अब इसकी हालत देखकर दुख होता है। इस बारे में सभी को सोचना चाहिए।
इनको जानकारी ही नहीं


टीएडी से आए बजट से आईसीयू का जीर्णोद्धार चल रहा है। हृदय रोग इकाई के बारे में मुझे जानकारी नहीं है।
डॉ. वी.के.जैन, पीएमओ

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