बांसवाड़ा

बांसवाड़ा : दफन हो गया मकानों पर नंबर प्लेट घोटाला, उफ तक नहीं कर रही पुलिस व परिषद

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बांसवाड़ाJan 15, 2019 / 03:55 pm

deendayal sharma

बांसवाड़ा : दफन हो गया मकानों पर नंबर प्लेट घोटाला, उफ तक नहीं कर रही पुलिस व परिषद

चेतन द्विवेदी. बांसवाड़ा. पुलिस और नगर परिषद कार्रवाई के लिए एक दूसरे का मुंह ताकते रहे और एक संस्था शहर के सैकड़ों लोगों को लाखों की चपत लगा गई, घोटाला कर गई। इसके बाद भी उसका बाल तक बांका नहींं हुआ। मामला शहर में मकानों पर नंबर प्लेट लगाने का है। संस्था ने स्वायत शासन विभाग के आदेश का हवाला देकर नंबर प्लेट लगाने का काम हथियाया व इस काम के लोगों से 30 और 60 रुपए वसूले। इसके बाद जब उसके काम पर संदेह और सवाल उठे तो पड़ताल में सामने आया कि संस्था तो फर्जीवाड़ा कर रही है और उसने अवैध वसूली की है। तब जिला प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए लेकिन मामला पुलिस और परिषद के पाटों के बीच पिसकर रह गया और घपला फाइल में दफन हो गया।
नगर परिषद ने यह बताई स्कीम
नगर परिषद ने सभी मकानों, व्यावसायिक दुकानों, होटलों का पंजीयन कराने की योजना की 17 जनवरी 2017 को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लोगों को सूचना दी। इसमें बताया कि सभी का स्थाई नंबर होगा। इससे एक नंबर व पहचान मिलेगी। इससे सरलीकरण होगा और सरकार के साथ सीधा संपर्क स्थापित होगा। इसका काम स्वायत्त शासन विभाग की ओर से मानव एज्यूकेशन एवं हेल्थ रिसर्च संस्थान नीम का थाना सीकर को सौंपा गया है। इसके तहत अनुराग वर्मा संस्था की ओर से सर्वे एवं नंबर प्लेट लगाने का कार्य टेट कॉर्डिनेटर था। यह कार्य जनवरी 2017 के अंतिम सप्ताह से शुरू हुआ, जिसका कागजों में स्थाई शुल्क 30 रुपए प्रति प्लेट रखा गया।
यह भी दिया झांसा
इस योजना के तहत 21 विभागों से जुड़े विभिन्न कार्यों का सरलीकरण करने का झांसा दिया गया। इसमें जनगणना से लेकर निर्वाचन, डाक, मूल्यांकन, सर्वेक्षण सहित अन्य कई प्रकार के कार्यों को जोड़ा गया। साथ ही कहा गया कि यह योजना के मूल्यांकन के लिए उपयोगी होगी। पुलिस विभाग के लिए व्यक्तिगत पहचान मिलेगी। इसके अलावा और भी कई बातें थीं।
यह था खेल
शहर के मकानों में जब नंबर लगाने का कार्य शुरू हुआ तो इसकी गुणवत्ता की शिकायतें आने लगी। साथ ही कुछ लोगों ने अवैध वसूली की भी शिकायतें की। खुद सभापति ने भी विरोध शुरू कर दिया था। तब कलक्टर ने भी इस खेल को बंद कराने का आवश्वासन दिया था। इसके बाद संबंधित संस्था को नोटिस देकर काम बंद करा दिया गया। इस संस्था ने शहर के हजारों घरों में 30 एवं 60 रुपए के हिसाब से नंबर प्लेट लगाने का कार्य किया। कई घरों पर दो-दो प्लेट्स तक लगा दी गई। इसके अलावा देहात के भी कुछ मकानों पर यह काम होने का मामला सामने आया, लेकिन जब भण्डाफूटा तो पूरा काम बंद हो गया।
नगर परिषद ने पुलिस को सौंपी रिपोर्ट
इस मामले में वर्ष 2017 में जिला प्रशासन ने यह मानते हुए एफआईआर दर्ज कराने के नगर परिषद को आदेश भी दिए थे कि शहरवासियों से अवैध वसूली हुई है। तब नगर परिषद के आयुक्त ने अगस्त 2017 कोतवाली थाना पुलिस को एक रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में परिषद ने बताया कि 15 जून 2017 से एक परिवाद कानूनी कार्रवाई के लिए प्रेषित किया गया था, लेकिन उसमें अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। इस मामले में दोनों कार्रवाई से पल्ला झाड़ते रहे। परिषद का कहना था कि आरोपियों ने धोखाधड़ी कर गलत तरीके से कार्यादेश प्राप्त तथा अनियमितता कर षड्यंत्र रचकर आम नागरिकों से राशि वसूल कर ली है। प्रकरण मात्र संविदा भंग श्रेणी का न होकर आरोपियों की ओर से षड्यंत्रपूर्वक धोखाधड़ी कर राशि प्राप्त करने का है। ऐसे में पुलिस कार्रवाई करे। दूसरी ओर पुलिस यह कहते हुए पल् ला झाडा़ कि वसूली के लिए नगर परिषद खुद सक्षम है। ऐसे में पुलिस ने प्रकरण दर्ज नहीं किया है।
पुलिस अनुंसधान कर रही है
उक्त प्रकरण की पुलिस को रिपोर्ट दे रखी है। जो इसमें अनुसंधान कर रही है।
प्रभुलाल भापोर, आयुक्त, नगर परिषद बांसवाड़ा

अनुसंधान बंद, परिषद सक्षम
परिवाद की जांच कर अनुसंधान बंद कर दिया है। परिषद खुद कार्रवाई के लिए सक्षम है। जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराई गई।
रामेंग पाटीदार, एएसआई, जांच अधिकारी कोतवाली थाना
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