यहां कॉलोनी के करीब कब्रिस्तान के पास पैंथर की आहट रात करीब दस बजे हुई, जबकि रमजान के चलते मुस्लिम समाज के लोग तराविह की नमाज के बाद वापसी कर रहे थे। क्षेत्र के अब्दुल कय्युम चौहान ने बताया कि यहां मादा और नर पैंथर के साथ दो शावक चारदीवारी के आसपास दिखलाई दिए। इसकी सूचना पर क्षेत्रीय वन अधिकारी बांसवाड़ा कपिल चौधरी ने उप वन संरक्षक एचके सारस्वत को बताया। फिर दोनों अधिकारी अपनी टीम लेकर मौके पर पहुंचे। इस बीच, कोतवाली से भी गश्ती दल पहुंचा। यहां एक निजी स्कूल की दीवार से पैंथर गुजरते देखकर आसपास के लोग एकत्र होकर टॉर्च से रोशनी फेंकते दिखे तो वनकर्मियों ने उन्हें टोकते हुए परे किया। इस दौरान सडक़ पार करते कुनबे के सामने आए कार सवारों ने रोककर फोटो-वीडियो भी लिए। गनीमत रही कि किसी ने पैंथरों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की, जिससे कोई हमलावर नहीं हुआ। यहां काफी देरतक शावकों को साथ लिए पैंथर विचरण करते रहे। इसके चलते ऐहतियात के तौर पर वन विभाग की टीम घंटों तक निगरानी में लगी रही। बाद में कुनबा जंगल की ओर लौट गया तो वनकर्मियों ने भी राहत की सांस ली।
श्यामपुरा में बसा है परिवार क्षेत्रीय वन अधिकारी चौधरी ने बताया कि पैंथर का कुनबा श्यामपुरा वन क्षेत्र से आया। इनमें नर और मादा पैंथर के साथ दो नर शावक शामिल थे। संभवत: पानी की तलाश में श्यामपुरा से निकलकर पैंथर मुस्लिम कॉलोनी से सटे इलाके होकर बादल महल की तरफ गया। गर्मी में देररात को इनका विचरण सामान्य बात है। केट फैमिली के पैंथर अमूमन खुद डरे रहने से इंसानों पर हमला नहीं करते, लेकिन छेड़छाड़ पर हमलावर हो जाते हैं। रात को किसी ने इन्हें नहीं छेड़ा तो चुपचाप अपनी टेरिटरी में बढ़ गए। ऐहतियात के तौर पर दूसरे दिन बांसवाड़ा नाके के वनपाल जयवद्र्धन के नेतृत्व में टीम निगरानी में लगाई गई।
भोजन-पानी के स्रोतों पर भी नजर इधर, उप वन संरक्षक सारस्वत ने बताया कि वन क्षेत्र से पैंथर अपने शावकों के साथ भोजन-पानी के लिए ही आते हैं। वन क्षेत्र में बंदर तो आबादी से सटे इलाकों में कुत्ते इनका शिकार बनते हैं। रात के मूवमेंट के बाद मंगलवार को विभागीय टीम लगाई थी, लेकिन पैंथर दिखलाई नहीं दिए। सारस्वत ने वन क्षेत्र के करीब आबादी क्षेत्रों के लोगों को पैनिक नहीं होने और पैंथर दिखलाई देने पर किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करने की सलाह दी।