इसके बाद इस साल 6 रेंज में 72 वाटर हॉल्स पर स्टाफ ने गिनती की। हालांकि स्टाफ सीमित होने से वाटर हॉल्स भी कम चिह्नित किए गए, वहीं इन पर भी 16 मई की सुबह आठ बजे से अगले दिन सुबह 8 बजे तक 24 घंटे में एक शावक सहित 12 पैंथर ही देखे गए।
बावजूद इसके लगातार वनों में सालभर सक्रिय स्टाफ ने इस वर्ष 7 नर, 16 मादा, 18 शावकों के अलावा 33 अज्ञात यानी कुल 74 पैंथर की गतिविधियां अलग-अलग जगह देखकर पुष्टि की। इससे पहले 2020 में हुई गणना में जिलेभर में 51 पैंथर होने के प्रमाण मिले थे। वह भी 2015 के 24 के आंकड़े से बढ़ते-बढ़ते 51 तक आया था। इसके बाद एक साल के अंतराल में 74 पैंथर होना सुखद है।
सबसे ज्यादा गीदड़-लोमडिय़ां, जंगली बिल्ली और जरख भी
जिले के जंगलों में इस बार की गणना में फील्ड स्टाफ से सबसे ज्यादा 1407 गीदड़ चिह्नित किए। इनमें 21 नर, 35 मादा, 103 शावकों के अलावा 1248 अज्ञात रहे। इसके अलावा 727 लोमडिय़ां देखी गईं, जिनमें 5 नर, नौ मादा, 46 बच्चे और 667 अन्य थे। इसी तरह, जंगली बिल्ली का आंकड़ा 6 नर, 2 मादा और 467 अन्य सहित 475 का रहा। इसी तरह जरख की संख्या 206 रही, जिनमें 4-4 नर-मादा, 25 बच्चे और शेष अज्ञात रहे।
रोजड़े भी बढ़े
वन क्षेत्रों इस बार रोजड़े और नील गाय की संख्या में भी इजाफा हुआ है। इस बार 2 हजार 341 रोजड़े देखे गए, वहीं जंगली सुअरों की संख्या 1191 रही। इसके अलावा लंगूर भी बढ़े हैं और इनका आंकड़ा 4938 के करीब रहा है।