बांसवाड़ा. श्री रामचरित मानस मंडल के तत्वावधान में महाविद्यालय मैदान में चल रहे हनुमान चालीसा महाअनुष्ठान के दौरान जहां साधना सत्संग मारुति महायज्ञ तथा राम नाम परिक्रमा के धार्मिक आयोजन को लेकर श्रद्धालुओं के लिए यह स्थल चारों धाम में तब्दील हो चला है जहां श्रद्धा का उमड़ा जन ज्वार महाकुंभ का नजारा प्रस्तुत कर रहा है। मन वचन कर्म से जो अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव रखते हैं, उनका पूरा ही जीवन साधना बन जाता है। धरती पर संतति के लिए माता पिता ही भगवान है। उनका जहां सम्मान होता है। वह घर मंदिर हो जाता है। घर को स्वर्ग बनाना है तो सांस में बहू मां के दर्शन करें व सासु अपनी बहू को बेटी के समान ममता की सौगात दे। तब ही जीवन की धन्यता है और गृहस्थी की सार्थकता है। इन्हीं व्यवहारों के चलते संतति में संस्कारों का भी बीजारोपण होगा। यह विचार साधना व्यासपीठ से पंडित नंदकिशोर शास्त्री ने धर्म सभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम जीव जगत के परमपिता हैं वह व्यक्ति पर कर्मों के अनुरूप अनुकंपा बरसाते हैं ऐसे में हमें मन वाणी और अपने कर्मों से वृद्धजनों की सेवा करना चाहिए उनका आदर करना चाहिए तब ही तब ही तप साधना और अनुष्ठान की सार्थकता सिद्ध हो सकेगी। उन्होंने कहा कि बुद्धि पर भरोसा हो तो नौकरी स्वयं पर भरोसा हो तो व्यापार और भगवान पर भरोसा हो तो व्यक्ति को भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए।मुख्य यजमान श्यामनाथ जोशी परिवार सहित ललित किशोर त्रिवेदी, हरिलाल ने व्यासपीठ का पूजन किया। साथ ही गीता देवी सोलंकी, नीलिमा, आकाश पटेल, जेबी पटेल, किरण पांडे, विनोद जोशी, शशिबाला बैरागी, देवकीनंदन शर्मा, नाथूलाल चंदा देवी, डॉक्टर कृष्णलाल जोशी, रेवा शंकर, कमला देवी, हीरालाल व्यास, नीला देवी, अशोक, कुसुम लता जोशी, बसंती तेली, हेमलता पटेल, चंदूलाल पंचाल, पुष्पा धूल पंचाल, राजकुमारी चौहान, हरीश, शिखा सर्राफ, बाबूलाल पंचाल, सविता नारायण परमार व नागेंद्र पटेल को व्यासपीठ से प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
बांसवाड़ा. श्री रामचरित मानस मंडल के तत्वावधान में महाविद्यालय मैदान में चल रहे हनुमान चालीसा महाअनुष्ठान के दौरान जहां साधना सत्संग मारुति महायज्ञ तथा राम नाम परिक्रमा के धार्मिक आयोजन को लेकर श्रद्धालुओं के लिए यह स्थल चारों धाम में तब्दील हो चला है जहां श्रद्धा का उमड़ा जन ज्वार महाकुंभ का नजारा प्रस्तुत कर रहा है। मन वचन कर्म से जो अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव रखते हैं, उनका पूरा ही जीवन साधना बन जाता है। धरती पर संतति के लिए माता पिता ही भगवान है। उनका जहां सम्मान होता है। वह घर मंदिर हो जाता है। घर को स्वर्ग बनाना है तो सांस में बहू मां के दर्शन करें व सासु अपनी बहू को बेटी के समान ममता की सौगात दे। तब ही जीवन की धन्यता है और गृहस्थी की सार्थकता है। इन्हीं व्यवहारों के चलते संतति में संस्कारों का भी बीजारोपण होगा। यह विचार साधना व्यासपीठ से पंडित नंदकिशोर शास्त्री ने धर्म सभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम जीव जगत के परमपिता हैं वह व्यक्ति पर कर्मों के अनुरूप अनुकंपा बरसाते हैं ऐसे में हमें मन वाणी और अपने कर्मों से वृद्धजनों की सेवा करना चाहिए उनका आदर करना चाहिए तब ही तब ही तप साधना और अनुष्ठान की सार्थकता सिद्ध हो सकेगी। उन्होंने कहा कि बुद्धि पर भरोसा हो तो नौकरी स्वयं पर भरोसा हो तो व्यापार और भगवान पर भरोसा हो तो व्यक्ति को भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए।मुख्य यजमान श्यामनाथ जोशी परिवार सहित ललित किशोर त्रिवेदी, हरिलाल ने व्यासपीठ का पूजन किया। साथ ही गीता देवी सोलंकी, नीलिमा, आकाश पटेल, जेबी पटेल, किरण पांडे, विनोद जोशी, शशिबाला बैरागी, देवकीनंदन शर्मा, नाथूलाल चंदा देवी, डॉक्टर कृष्णलाल जोशी, रेवा शंकर, कमला देवी, हीरालाल व्यास, नीला देवी, अशोक, कुसुम लता जोशी, बसंती तेली, हेमलता पटेल, चंदूलाल पंचाल, पुष्पा धूल पंचाल, राजकुमारी चौहान, हरीश, शिखा सर्राफ, बाबूलाल पंचाल, सविता नारायण परमार व नागेंद्र पटेल को व्यासपीठ से प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।