बांसवाड़ा

#sehatsudharosarkar: राज्यमंत्री का घर हो या फिर संसदीय सचिव का, स्वास्थ्य जांच पर मंडरा रही लापरवाही की आंच

महात्मा गांधी अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं हो पा रही मानकों के अनुसार जांचें, कई स्थानों पर उपकरणों को टोटा कहीं कर्मचारियों का

बांसवाड़ाSep 16, 2017 / 09:08 pm

Ashish vajpayee

बांसवाड़ा. जिले के सरकारी अस्पतालों में जरूरतमंदों सुविधा और उपचार देने के लिए जहां सरकार प्रयासरत है। वहीं, दूसरी ओर आला अधिकारियों की ढुलमुल कार्यशैली और नजरअंदाजी के कारण जिले के सरकारी अस्पतालों में उपचार को लेकर व्यवस्थाएं और सुविधाएं दोयम दर्जे की हो चुकी हैं। और यह हाल स्वयं राज्यमंत्री और संसदीय सचिव के घर का है। जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में लापरवाही का आलम यह है कि कहीं लाखों रुपए की मशीने सालों से धूल मिट्टी खा रही हैं तो कहीं डेप्यूटेशन के कारण तीन साल से लोग स्वास्थ्य जांच के लिए तरस रहे हैं। इन सरकारी अस्पतालों की खामियों को उजागर करने के लिए राजस्थान पत्रिका की ओर से चलाए जा रहे अभियान ‘सेहत सुधारो सरकार’ के तहत जब पत्रिका टीम से महात्मा गांधी अस्पताल और जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया तो ढेरों खामियां सामने आईं।

महात्मा गांधी अस्पताल में ही नहीं हो पा रही पूरी जांच
जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल और राज्य मंत्री घर में ही जांच को लेकर प्रबंधन की ओर पूरी लापरवाही बरती जा रही है। रोजाना 100 के आसपास की ओपीडी,भर्ती मरीजों की भी बड़ी संख्या होने के बाद भी यहां कई प्रकार की जांच के लिए मरीजों को निजी संस्थानों की ओर रुख करना पड़ रहा है। वैसे तो यहां कुल 45 प्रकार की जांचों की सुविधा है। लेकिन मशीन की खराबी के कारण बायोकेमेस्ट्री की कई जांच की सुविधा यहां उपलब्ध नहीं हो पा रही है। वर्तमान में 26 प्रकार की जांच की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध न होने का भार मरीजों की जेब पर पड़ रहा है।
 गांगड़तलाई : मरीजों को बाहर से लानी पड़ती हैं सिरिंज और ग्लूकोज की बोतल

इंजेक्शन लगवाना है तो पहले सिरिंंज बाजार से खरीद कर लाओ। उल्दी, दस्त आ रही हो या अन्य किसी बीमारी के ग्लोकोज चढ़वाना हो तो ग्लूकोज की बोतल खरीद कर लाओ, यह आलम है, जिले के गांगड़तलाई के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का। जहां मरीजों को उपचार कराने के लिए बाजार से सामग्री लानी पड़ती है। इतना ही नहीं यहां मरीजों की 10 प्रकार की स्वास्थ्य जांच की भी सुविधा नहीं मिल पा रही है।
 गनोड़ा : एक साल से भी ज्यादा समय से नहीं मिल रहा ‘सीरम‘

बांसवाड़ा-उदयपुर रोड पर गनोड़ा कस्बे की सीएचसी में हाल तो और भी ज्यादा बदत्तर है। हाइवे पर स्थित कस्बे में एक साल से भी ज्यादा समय से मरीजों को पूर्ण जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जिसको लेकर कार्मिकों ने बताया कि एक वर्ष से सीरम की मांग कर रहे हैं। लेकिन मुख्यालय से उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। जिस कारण बायोकेमस्ट्री की कई प्रकार की जांच नहीं हो पा रही है। वहीं, आलाधिकारियों ने यहां के लैब टेक्नीशियन को बदरेल सीएचसी में तीन साल से डेप्यूट कर रखा है। यहां तो हाल इतने खराब है कि भवन से पानी भी टपकता है।
 अरथूना : दो साल से सुविधाओं की दरकार, नहंी हो पाता एक्स-रे

दो वर्ष अरथूना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को पीएचसी से सीएचसी में क्रमोन्नत किया गया था। पूर्व राज्यमंत्री के गृह क्षेत्र होने के कारण पीएचसी को क्रमोन्नत तो कर दिया गया। लेकिन सीएचसी की माकूल सुविधाएं आज तक नहीं दी गईं। जिसका खामियाजा आसपास क्षेत्र के हजारों मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। इस केंद्र में लंबे समय से एक्स-रे की मशीन धूल मिट्टी खा रही है। मशीन संचालक न होने के कारण मशीन का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है।
 संसदीय सचिव के गृहक्षेत्र में भी हाल खराब है

जिले की कुशलगढ़ विधान सभा क्षेत्र से विधायक और संसदीय सचिव नानालाल निनामा के क्षेत्र के कुशलगढ़ कस्बे में स्थित सीएचसी में में स्वास्थ्य सुविधाएं खुद बीमार पड़ी हैं। आला अधिकारियों की लापरवाही के कारण यहां बायोकेमेस्ट्री की 12 प्रकार की जांच सुविधा उपलब्ध नहीं है। सिर्फ मशीन खराब होने के कारण लोगों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही है। वहीं, स्थानीय कर्मचारियों ने बतायाकि कई बार अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। बड़े आबादी क्षेत्र को कवर करने वाले इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण मरीजों को जांच एवं उपचार के लिए गुजरता जाना पड़ता है।
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