ये है योजना का जमीनी सच : – ग्राम पंचायत में वर्ष 2017 में मंजूर कई कैटलशेड के अते-पते ही नही हैं, जबकि भुगतान उठा लिया गया हैं। योजना में काम भी मनमर्जी से ठेके पर दे रखा हैं। इसके साथ ही कई लाभार्थियों को केटल शेड निर्माण के लिए सामग्री तक उपलब्ध नही कराई गई। कुछ लाभार्थियों के वहां निर्माण के लिए ईंटें भी सरपंच के भट्टे से कच्ची व खराब डाल दी गई, जिसे लेकर भी लाभार्थी खफा हैं। यही हाल अन्य निर्माण सामग्री को लेकर भी हैं। जहां आधा-अधूरा काम हुआ भी हैं तो वहां श्रम मद की राशि का भुगतान नही किया हैं। योजना के व्यय की ऑनलाइन पड़ताल में सामने आया कि कई जगह निर्माण न होने के बावजूद 63 हजार की स्वीकृति के मुकाबले 61347.5 रुपए का भुगतान उठा लिया गया हैं।
योजना के लाभार्थी बोले : – लाभार्थी मीरा गरासिया ने बताया कि केटल शेड सामग्री के नाम पर टीन शेड व एंगल ही दिया हैं। इसके अलावा किसी प्रकार की सामग्री नही दी गई हैं। श्रमिकों का भुगतान भी नही हुआ। पंचायत तक गुहार लगाने पर संतोषप्रद जवाब तक नही मिल रहा। सुनवाई नही होने पर खूटों के सहारे ही केटलशेड का काम चलाया जा चम्पी गरासिया ने बताया कि निर्माण के लिए ईंट, रेती दी गई। ईंटें भी सही नही थी। इसकी शिकायत की तो जो सामग्री दी थी वो भी वापस ले गए। लता डामोर ने बताया कि सास कना के नाम से स्वीकृति जारी होने के बावजूद सामग्री ही नहीं दी गई। ऐसी ही स्थिति अन्य लाभार्थियों की भी हैं।
जिम्मेदार का यह जवाब : – इधर, ग्राम विकास अधिकारी शुभम जैन से बातचीत का प्रयास किया तो वे जवाब तक नही दे पाए एवं मामले को टालमटोल करते रहे। ग्राम पंचायत के सरपंच कन्हैयालाल गरासिया ने बताया कि योजना में 100 से अधिक स्वीकृतियां जारी हुई हैं। सामग्री व कार्य ठेके पर दे रखा है। आधे बन भी गए हैं। कुछ बनने शेष हैं। मनरेगा में राशि देरी से आने से भुगतान अटका हुआ है। ग्राम पंचायत ने बिल चढ़ा दिए हैं, राशि आने पर भुगतान भी करा देंगे।