दलाल से हुआ विवाद इसलिए रचा षड्यंत्र : – एसपी ने बताया कि आरोपी राकेश कलाल झुंझुनंू के एक शराब तस्कर के मार्फत राजस्थान में प्रतिबंधित हरियाणा की शराब मंगवाकर बांसवाड़ा के रास्ते तस्करी कर गुजरात भिजवाता था। तस्करी के इस खेल में लेन-देन को लेकर दोनों के मध्य विवाद हो गया और पूर्व के सौदे के पेटे राकेश कुछ राशि झुंझुनंू के शराब दलाल को नहीं दे पाया था। इसी का बदला लेने के लिए झुंझूनंू के शराब दलाल ने राकेश को फोन कर कहा कि गोधरा में शराब से भरा ट्रक फंस गया है। इस ट्रक को वहां से निकालकर बड़ौदा पहुंचाने की बात को लेकर झुंझुनूं के दलाल ने राकेश से सम्पर्क किया। दोनों के मध्य नौ लाख में शराब से भरी गाड़ी राकेश को सुपुर्द करने पर सहमति बनी। सौदा तय होने के बाद राकेश ने झुंझुनूं के दलाल को नौ लाख की राशि दे दी। इस घटनाक्रम के करीब आधे घंटे बाद झुंझूनंू के दलाल ने राकेश को फोन कर कहा कि शराब से भरा ट्रक भूल जाओ और घर जाओ। पूर्व के हिसाब में उक्त राशि को चुकता कर लिया गया है। रुपए जाने और शराब से भरा हुआ ट्रक भी नहीं मिलने से बौखलाए राकेश ने नौ लाख की लूट का फर्जी खेल रचा।
गले में चेन और जेब की नकदी से खुली पोल : – एसपी केसर सिंह ने बताया कि कलिंजरा सीआई देवीलाल जब शराब तस्कर राकेश से पूछताछ कर रहे थे तो आरोपी सोने की चेन, हाथ में सोने की अंगुठियों के अलावा जेब में नकदी रखे था। सीआई को शक हुआ कि जब लूट हुई तो आरोपियों के गले व जेब से नकदी क्यूं नहीं ली। आरोपी से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ करना शुरू किया। आरोपी की बातों से संदेह गहराया तो पुलिस ने राकेश की ससुराल में सम्पर्क किया। साथ ही लूटी गई राशि नौ लाख के बारे मे तस्दीक करवाई गई, लेकिन वहां रुपयों के लेन-देन की कोई बात सामने नहीं आई। इससे पुलिस का शक और पक्का हो गया कि आरोपी कोई षडयंत्र रच रहा है। आरोपी से जब सख्ती के साथ पूछताछ की गई तो वह फूट पड़ा और वारदात का झूठा षड्यंत्र रचना स्वीकार कर लिया। आबकारी विभाग ने निकाय चुनाव से ठीक पूर्व 14 नवंबर को लीमथान चौकी के बगल से एक मकान से राजस्थान में प्रतिबंधित हरियाणा शराब की 180 पेटियां जब्त की थी। इसमें विभाग ने हिस्ट्रीशीटर राकेश कलाल पुत्र हीरालाल कलाल सहित उसके भाई भगवती कलाल तथा खेमराज को नामजद किया था। इसमें आबकारी विभाग ने भगवती को तो गिरफ्तार कर लिया, लेकिन आरोपी राकेश व उसका भाई खेमराज विभाग के हत्थे नहीं चढ़ रहे थे। इसके चलते तस्करी की कड़ी से कड़ी नहीं जुड़ रही थी।