पुलिस सूत्रों के अनुसार जांच के दौरान पुलिसकर्मियों की उपस्थिति एक ही जगह मिली। कुछ अफसर कुछ जगहों पर घूमे और आधी रात होते ही कहीं गुम हो गए। इनकी गश्त मिली बेहतर
कोतवाली थाना प्रभारी शैतान सिंह नाथावत, कलिंजरा थाना प्रभारी देवीलाल मीणा तथा पुलिस लाइन के निरीक्षक अखिलेश की सबसे प्रभावी गश्त दिखाई पड़ी है। वहीं मुख्यालय के समीपवर्ती कुछ थानों के पुलिस अधिकारियों की गश्त व्यवस्था दोयम दर्जे की पाई गई।
दंगे बाद जिलेभर के पुलिस अधिकारियों को सप्ताह में एक नाइट मुख्यालय पर गश्त के लिए लगाया जाता है। पुलिस अधिकारियों की शहर में यह गश्त रात्रि बारह बजे से सुबह चार-पांच बजे तक रहती है। इस गश्त के दौरान संवेदनशील इलाकों से लेकर शहर के प्रमुख मार्गों एवं गलियों में गश्त करनी होती है। साथ ही पुलिस अधिकारियों को इधर-उधर घूमना पड़ता है। साथ संदिग्ध दिखने पर उनकी धरपकड़ के साथ अन्य छोटी मोटी कार्रवाईयां करनी पड़ती होती हैं।
कई पुलिस कर्मियों की अप्रभावी रात्रिकालीन गश्त दिखाई पड़ी है। इसकी सूची तैयार कर गश्त में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्ती बरती जाएगी।
कालूराम रावत, पुलिस अधीक्षक बांसवाड़ा