टीम ने मकान की तलाशी ली तो यहां एक कमरे के कोने में प्लास्टिक के नीले रंग के पांच ड्रम काले डक्कन लगे हुए दिखलाई दिए। पास ही एक सफेद रंग का प्लास्टिक का कट्टा पड़ा था। कट्टा खोलने पर उसमें नशीला अल्प्राजोलम पाउडर मिला। अफीम और उक्त पाउडर अपने कब्जे में रखने से संबंधित कोई वैध दस्तावेज या अनुज्ञा पत्र दोनों आरोपी नहीं बता पाए। मौके पर तौल करवाने पर ड्रमों और कट्टों से कुल 101 किलो ८१० ग्राम अल्प्राजोलम पाउडर मिला। इस पर एनडीपीएस एक्ट के प्रावधान अनुसार सेंपल अलग लेकर तमाम माल जब्त कर लिया गया।
अमूमन बगैर डॉक्टर की पर्ची के मेडिकल स्टोर से पाव या आधा मिलीग्राम की अल्प्राजोलम की गोली लेना भी मुमकिन नहीं होता, उसके पाउडर की इतनी बड़ी खेप देखकर अधिकारी भी दंग रह गए। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने किसी ट्रांसपोर्ट के जरिए यह माल चोरी-छिपे लाया जाना बताया। हालांकि इतने माल की आवक कहां से हुई और आगे इसका क्या इस्तेमाल होना था इस बारे में जानकारी सामने नहीं आई। गौरतलब है कि अल्प्राजोलम पाउडर का इस्तेमाल नशीली गोलियां बनाने के लिए होता है।
मौके पर महीन पाउडर के तौल और कार्रवाई कर थाने लौटने तक पुलिसकर्मी बुरी तरह थक गए। मास्क लगाने के बावजूद कुछ जवानों को पाउडर उडऩे से बैचेनी भी हुई। आखिर मौका कार्रवाई कर तड़के चार बजे थाने आकर सीआई सारण के मौका पर्चा रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज की गई। जांच गढ़ी सीआई सुरेंद्रसिंह सोलंकी के जिम्मे की गई।
पकड़े गए आरोपियों में सलीम बांसवाड़ा के एमजी अस्पताल परिसर में खड़ी रहने वाली 108 एंबुलेंस का चालक है। सीआई मोतीराम सारण के अनुसार वह पूर्व में बांसवाड़ा में हुए एक मामले में भी वो लिप्त रहने पर पकड़ा गया था। इसके अलावा दूसरे आरोपी की पृष्ठभूमि को लेकर पुलिस की छानबीन जारी है।
संयुक्त कार्रवाई टीम में एटीएस से हैड कांस्टेबल नेमीचंद, बृजेश, सचिन, तो एसओजी से एएसआई नरेंद्रसिंह, हैड कांस्टेबल नाथूलाल, कांस्टेबल प्रवीण और महावीर शामिल हुए। इधर, बांसवाड़ा पुलिस से कांस्टेबल विशालसिंह, सुखराम, हेमंत पाटीदार, दिग्पालसिंह, शैलेंद्रसिंह, वासुदेव शामिल थे।