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Rajasthan Election 2018 Result : नोटबंदी और जीएसटी के दुष्प्रभाव ने दिखाया रंग, वोटर नहीं रहे भाजपा के संग

locationबांसवाड़ाPublished: Dec 12, 2018 02:56:57 pm

Submitted by:

Yogesh Kumar Sharma

www.patrika.com/banswara-news

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Rajasthan Election 2018 Result : नोटबंदी और जीएसटी के दुष्प्रभाव ने दिखाया रंग, वोटर नहीं रहे भाजपा के संग

बांसवाड़ा. पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार भाजपा को पटखनी के पीछे मतदाताओं ने कई कारण गिनाए हैं। कारोबारियों की नजर में जीएसटी, नोटबंदी का दुष्प्रभाव इस चुनाव में दिखा, किसी ने कहा भ्रष्टाचार, नोटबंदी, जीएसटी, सरकारी काम काज में कागजी खानापूर्ति की परेशानी, महंगाई गिनाई तो किसी ने कहा कि नेताओं के बोल और रवैये ने भी अपना रंग दिखाया।
रोटी-पानी के संकट ने बढ़ाया रोष
कुशलगढ़ क्षेत्र के बिलीपाड़ा गांव से आए 68 वर्षीय किसान हुरपाल पुत्र थावरा ने भाजपा की दुर्गति पर कहा कि यही होना था। भाजपाराज में भ्रष्टाचार बढ़ा है। खाते खोलने, ऑनलाइन, नोटबंदी के चक्कर में किसानों को रोटी-पानी का संकट हो गया, तो विद्यार्थी मित्र बनकर बरसों तक सेवाएं देने वाले कई बच्चे सडक़ पर आ गए। ऐसे हालात में सरकार के विरोध में लोगों को आना ही था।
गैस सिलेंडर महंगा, केरोसीन बंद
शहर के बाबा बस्ती निवासी गृहिणी लता पत्नी भूराजी का मानना था कि कांग्रेसराज में गैस सिलेंडर 350-400 रुपए तक मिलता था, अब वह एक हजार रुपए तक की कीमत का हो गया। गैस के चक्कर में केरोसिन मिलना भी बंद हो गया। भाजपाराज में आटा, दाल कुछ भी तो सस्ता नहीं है। केवल नेताओं की भाषणबाजी ही सुनी है।
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मुश्किल हो गया कारोबार करना, केंद्र की भी विफलता
बांसवाड़ा शहर के पेंट्स और हार्डवेयर कारोबारी फखरी भाई कलकत्तावाला के अनुसार सरकार ने वादे तो खूब किए, लेकिन आधारभूत विकास, स्वास्थ्य सेवाओं समेत कई बिंदुओं पर वह खरी नहींं उतरी। केंद्र सरकार के नोटबंदी, जीएसटी जैसे कदमों ने कारोबार खराब कर दिया। धरातल पर लोगों को कुछ नहीं मिला, तो नतीजा यही मिलना था।
काम किया पर नेता-कार्यकर्ताओं ने अपनी ही चलाई
कुशलगढ़ इलाके के ही खेड़पुर निवासी बीए बीएड कर चुके 25 वर्षीय भरत पुत्र रमेशचंद्र गणावा ने कहा कि भाजपा के राज में विकास के काम हुए, इससे इनकार नहीं है, लेकिन जिले में भाजपा नेताओं-कार्यकर्ताओं ने अपनी भी खूब चलाई। मस्टररोलों में फर्जीवाड़ा किया। ई-मित्रों के जरिए भी गड़बडिय़ां हुई और इसका खमियाजा भुगता।
धर्म-जाति की राजनीति नहीं आई वोटरों को रास
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से रिटायर कर्मचारी शकील अहमद का कहना था कि भाजपा की धर्म और जाति के नाम पर राजनीति आम मतदाताओं को रास नहीं आने से नतीजे उल्टे मिले हैं।

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