जिले में सरकार ने समर्थन मूल्य तो बढ़ा दिया है लेकिन हर वर्ष खरीद केन्द्र मंजूर करने और उन्हें शुरू करने को लेकर लेटलतीफी और लापरवाही होती रही है। इसके चलते खरीद का आंकड़ा गड़बड़ाने के साथ किसान को उसकी मेहनत का पूरा दाम नहीं मिल पाता है।
जानकारों के अनुसार यहां खरीद केन्द्र की मांग मार्च से रहती है। जबकि केन्द्रों का संचालन अप्रेल एवं मई तक होता है। केन्द देरी से खुलते हैं तो किसान अपने माल की फुटकर व्यापारियों को कम दामों में बिक्री कर देते हैं। एेसे में केन्द्र तक गेहूं नहीं पहुंच पाता है। इसके अलावा कई बार बाजार मूल्य अधिक होता है तो भी केन्द्र तक माल की आवक नहीं होती है।