ऐसा नहीं है कि अभिभावक बच्चों को अच्छा तैराक बनाना नहीं चाहते, लेकिन तैराकी सीखाने के लिए कहां भेजे यह समस्या बनी रहती है। इसको देखते हुए निजी विद्यालय संचालकों सहित एक-दो स्थान पर कुछ समय से तैराकी का प्रशिक्षण देने का प्रयास शुरू किया है। एक-दो साल से बच्चों का रुख तैराकी की ओर बढऩे से समर केंप में भी इसको जोड़ दिया। अंकुर शिक्षण संस्थान के सचिव शैलेन्द्र सराफ ने बताया कि राजस्थान पत्रिका की ओर से चलाए जा रहे अभियान के बाद दो-दो साल तक के बच्चों में तैराकी के प्रति जागरुकता जगी है एवं वह इस बारे में पूछताछ कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में कई अच्छे तैराक हैं यदि उनको और बेहतर तरीके से प्रशिक्षण दिया जाए तो वह अच्छे ट्रेनर बन सकते हैं। जिले में पानी की कोई परेशानी नहीं है जिससे यहां बहुत संभावनाएं हैं।
बांसवाड़ा. केंद्रीय जल आयोग की ओर से सेंटर फोर साइंस एण्ड एनवायरनमेंट की ताजा रिपोर्ट में माही नदी के जल में खतरनाक स्तर तक मिले क्रोमियम, शीशा और आयरन जैसे तत्वों से मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होने का खुलासा होने के बाद जिला प्रशासन ने भी इसकी जांच स्थानीय स्तर पर कराने का मानस बनाया है। जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद ने बताया कि जांच रिपोर्ट की कॉपी उपलब्ध होने के बाद रिपोर्ट के आधार पर पानी पीने योग्य है या नहीं और इसमें कौनसे तत्व हैं इसकी जांच स्थानीय स्तर पर भी करवाने के प्रयास किए जाएंगे। यदि इसकी अधिकता है और पीने योग्य नहीं है तो इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने रविवार को प्रथम पेज पर ‘माही के पानी में जानलेवा रासायनिक तत्व की भरमार’ शीर्षक से समाचार का प्रकाशन कर इसका खुलासा किया था।