Video : शुद्ध का युद्ध : लीयो कॉलेज में युवाओं ने दिखाया उत्साह, मतदान करने का लिया संकल्प बांटा पलायन का दर्द
क्षेत्रवासी बलवंत वसीटा ने सिर्फ बांसवाड़ा ही बल्कि पूरे जिले में रोजगार के लिए पलायन को अहम समस्या बताया। उनका कहना था कि भोलेभाले ग्रामीणों को दूसरे जिलों एवं राज्यों के लोग झांसा देकर ले जाते हैं। यह बहुत बड़ी समस्या है। जिसके समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं होता। सरकार जिले में उद्योगों को बढ़ाव दे तो यह समस्या समाप्त हो।
क्षेत्रवासी बलवंत वसीटा ने सिर्फ बांसवाड़ा ही बल्कि पूरे जिले में रोजगार के लिए पलायन को अहम समस्या बताया। उनका कहना था कि भोलेभाले ग्रामीणों को दूसरे जिलों एवं राज्यों के लोग झांसा देकर ले जाते हैं। यह बहुत बड़ी समस्या है। जिसके समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं होता। सरकार जिले में उद्योगों को बढ़ाव दे तो यह समस्या समाप्त हो।
शिक्षा में सुधार की महती आवश्यकता
शहरवासी अखिलेश जोशी ने उच्च शिक्षा के लिए शिक्षण संस्थानों को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने ने बताया कि क्षेत्र आज भी बेहतर शिक्षा के लिए युवा दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हैं। गुणवत्तायुक्त शिक्षा को बढ़ावा मिलना चाहिए। वहीं, छात्रा प्रियंका भावसार ने भी शिक्षा को बढ़ावा मिलने की बात रखी। इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी ठोस कदम उठाए जाने को कहा।
शहरवासी अखिलेश जोशी ने उच्च शिक्षा के लिए शिक्षण संस्थानों को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने ने बताया कि क्षेत्र आज भी बेहतर शिक्षा के लिए युवा दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हैं। गुणवत्तायुक्त शिक्षा को बढ़ावा मिलना चाहिए। वहीं, छात्रा प्रियंका भावसार ने भी शिक्षा को बढ़ावा मिलने की बात रखी। इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी ठोस कदम उठाए जाने को कहा।
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शहरवासी सुनील मीणा ने सरकारी योजनाओं के सही क्रियांवयन न होने को तहरीज दी और बताया कि सरकारें तो योजनाएं लागू करती हैं। लेकिन जमीन स्तर पर उनको सही तौर पर अमल पर नहीं लाया जाता। जिस कारण जरूरतमंद उसका लाभ नहीं ले पाता है और जिन्हें आवश्यकता नहीं वो लाभांवित होते हैं।
शहरवासी सुनील मीणा ने सरकारी योजनाओं के सही क्रियांवयन न होने को तहरीज दी और बताया कि सरकारें तो योजनाएं लागू करती हैं। लेकिन जमीन स्तर पर उनको सही तौर पर अमल पर नहीं लाया जाता। जिस कारण जरूरतमंद उसका लाभ नहीं ले पाता है और जिन्हें आवश्यकता नहीं वो लाभांवित होते हैं।
कोई ठोस पहल नहीं
शहरवासी विजय महावर ने बताया कि पूर्व में शहर के विकास के लिए कवायद की गई थी। लेकिन वो कागजों में ही दम तोड़ रही है। सरकारी मशीनरी के द्वारा सही कार्य न होने के कारण टाउन प्लान ही घूल खा रहा है। इसके अलाव गंदगी, सडक़ जैसी समसस्याएं रहरहकर टीस दे रही हैं।
शहरवासी विजय महावर ने बताया कि पूर्व में शहर के विकास के लिए कवायद की गई थी। लेकिन वो कागजों में ही दम तोड़ रही है। सरकारी मशीनरी के द्वारा सही कार्य न होने के कारण टाउन प्लान ही घूल खा रहा है। इसके अलाव गंदगी, सडक़ जैसी समसस्याएं रहरहकर टीस दे रही हैं।
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युवा अतीत गरासिया ने सडक़ और शहर के सौंर्दयकरण को शासन और प्रशासन दोनों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहाकि जिले में कई ऐसे स्थान हैं जहां विकास होने पर सौंर्दय कई गुना बढ़ जाए। उदयपुर की फतहसागर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां हर वर्ग के लोग परिवार के साथ शाम को घूमने जाते हैं। लेकिन यहां शहर के भीतर तीन तालाब होने के बाद भी सभी की हालत खस्ताहाल है। कोई डायलाब, नाथेलाव और राजतालाब पर शाम बिताने की सोचता तक नहीं। कागदी में समाजकंटकों का डेरा रहने के कारण आमजन जाने से कतराता है। लेकिन इस मुद्दे पर भी प्रशासन कोई सख्ती नहीं दिखाता है।
युवा अतीत गरासिया ने सडक़ और शहर के सौंर्दयकरण को शासन और प्रशासन दोनों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहाकि जिले में कई ऐसे स्थान हैं जहां विकास होने पर सौंर्दय कई गुना बढ़ जाए। उदयपुर की फतहसागर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां हर वर्ग के लोग परिवार के साथ शाम को घूमने जाते हैं। लेकिन यहां शहर के भीतर तीन तालाब होने के बाद भी सभी की हालत खस्ताहाल है। कोई डायलाब, नाथेलाव और राजतालाब पर शाम बिताने की सोचता तक नहीं। कागदी में समाजकंटकों का डेरा रहने के कारण आमजन जाने से कतराता है। लेकिन इस मुद्दे पर भी प्रशासन कोई सख्ती नहीं दिखाता है।