scriptबांसवाड़ा : प्री बजट परिचर्चा में बोले कलमकार- साहित्य के हित में बजट लाए सरकार | Rajasthan Patrika Pre Budget Discussion In Banswara | Patrika News

बांसवाड़ा : प्री बजट परिचर्चा में बोले कलमकार- साहित्य के हित में बजट लाए सरकार

locationबांसवाड़ाPublished: Jan 27, 2020 02:46:32 pm

Submitted by:

deendayal sharma

Rajasthan Budget 2020 : पत्रिका की ओर से आयोजित प्री बजट परिचर्चा में बांसवाड़ा के साहित्यकारों ने जाहिए किए विचार

बांसवाड़ा : प्री बजट परिचर्चा में बोले कलमकार- साहित्य के हित में बजट लाए सरकार

बांसवाड़ा : प्री बजट परिचर्चा में बोले कलमकार- साहित्य के हित में बजट लाए सरकार

बांसवाड़ा. सरकारें बदल देने का सामथ्र्य रखने वाले साहित्य और साहित्यकारों की दशा आज इतनी दयनीय है कि वह अपने हालात तक बदल नहीं पा रहे है। आम जनता की गिनती में आने वाले यह कलमकार भी महंगाई, मूलभूत सुविधाओं और संसाधनों के अभाव में उलझ गए है। वहीं वर्षों से संघर्ष करने के बावजूद सरकार की ओर से हमेशा इनकी उपेक्षा की जाती रही है। अपनी एक कृति प्रकाशित करवाना भी साहित्यकारों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। पत्रिका की ओर से आयोजित प्री बजट परिचर्चा में स्थानीय साहित्यकारों का यह दर्द सामने आया।
आईना : आजादी के बाद से राज्य में कितनी ही सरकारें बदली लेकिन किसी ने भी साहित्यकारों के उत्थान के लिए कभी प्रयास नहीं किए। भारतीयता की पहचान कराने वाले यह कलाकार घर में ही उपेक्षा के शिकार है। राजस्थानी भाषा अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्षरत है तो स्थानीय बोलियां तो विलुप्ति की ओर अग्रसर हो रही है।
उम्मीद : सरकार हमेशा से उपेक्षित साहित्य और साहित्यकार वर्ग के लिए बजट जारी करें जिससे प्रोत्साहन मिले। साहित्य अकादमियों में अध्यक्षों की नियुक्ति की जाए और पूरे प्रदेश के साहित्यकारों के लिए राजकीय स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन हो जिससे पुराने कलमकारों सहित नई प्रतिभाओं को मंच मिल सके।
संभावना : कलमकारों के लिए यदि बजट घोषणा की जाती है तो प्रदेशभर के साहित्यकारों को इससे प्रोत्साहन मिलेगा। जिलास्तर से लेकर राज्यस्तर तक पूरी पारदर्शिता के साथ प्रतियोगिताएं हो तो प्रतिभाओं को मंच मिलेगा और लेखकों को अपनी कृतियां प्रकाशित करने में सरकारी मदद मिले तो साहित्य अकादमियों में नई पुस्तकों का भंडार होगा।
– बालिका शिक्षा और खेल प्रतिभाओं की ओर ध्यान दिया जाए। दलगत राजनीति के अलग राजस्थान अकादमी के अध्यक्षों की नियुक्ति की जानी चाहिए। वागड़ क्षेत्र को साहित्य की दृष्टि से काफी उपेक्षित किया गया है, ऐसे में सरकार की ओर से उच्चस्तरीय कार्यक्रमों में क्षेत्र को समान प्रतिनिधित्व मिले इसके प्रयास होने चाहिए। -डॉ. आशा मेहता, सेवानिवृत्त हिंदी व्याख्याता
– सरकार की ओर से आने वाले बजट में लुभाने की बजाय उन्हीं घोषणाओं को स्थान मिले जो पूरी की जा सके। राज्य में किसी भी प्रकार की साहित्यिक गतिविधियों में वागड़ को स्थान मिले। इसके साथ मध्यम वर्गीय परिवार पर महंगाई बोझ बनकर उभरी है ऐसे में सरकार की ओर से किसी भी तरह का नया टैक्स जनता पर नहीं लगाया जाए। -सतीश आचार्य, रंगकर्मी
– बजट की व्यवस्था में साहित्य को भी स्थान मिलना चाहिए। कई साहित्यकारों के पास प्राचीन पाण्डूलिपियां है, जिनके प्रकाशन के लिए सरकार की ओर से सहायता मिलनी चाहिए। राजकीय विद्यालयों के पुस्तकालयों में साहित्यकारों की कृतियां अनिवार्य रूप से होनी चाहिए जिससे नई पीढ़ी को इसका लाभ मिल सके। -भूपेंद्र उपाध्याय ‘तनिक’, साहित्यकार
– सरकार के बजट में मध्यमवर्गीय परिवारों का ध्यान रखा जाना चाहिए। दिनों दिन बढ़ती महंगाई के कारण आम जनता को हर काम में परेशानी का सामना करना पड़ता है। सरकार की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर साहित्यकारों के विकास के लिए पेंशन योजना शुरू करनी चाहिए। -घनश्याम नूर, लेखक
– राज्य की संपूर्ण वन भूमियों के चारों तरफ परकोटे का निर्माण हो, जिससे वन संपदा और वन्यजीवों की सुरक्षा हो सके। लोग साइकिल चलाने के लिए प्रेरित हो ऐसी कोई योजना या अभियान शुरू किया जाना चाहिए। राजस्थान के प्रत्येक कलमकार की कम से कम एक किताब प्रकाशित हो सके, इसके लिए सरकार बजट घोषित करें। -भागवत कुंदन, पर्यावरण प्रेमी
– राज्य में संचालित सभी भाषाओं की अकादमियों को पर्याप्त बजट आवंटित किया जाए। अकादमियों में अध्यक्ष और एक प्रतिनिधि प्रत्येक जिले में नियुक्त किया जाना चाहिए। स्थानीय कलमकारों की सूची तैयार की जाए उनकी कृतियों को प्रकाशित कर उन्हें सम्मानित किया जाए। सरकार की ओर से साहित्यकारों को संबल प्रदान कर पाठकों की कम होती जा रही संख्या को बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए। -ब्रजमोहन तुफान, कलमकार
– स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाते हुए बड़े साहित्यकारों से लेकर स्थानीय लेखकों की कृतियां भी स्कूल में बच्चों को पढऩे के लिए मिलनी चाहिए, जिससे साहित्य के प्रति उनकी रूचि बढ़े। राज्य की अकादमियों को आवश्यक बजट मिले और समय-समय पर जिलास्तरीय आयोजन होने चाहिए जिसमें साहित्यकार भाग लेकर सम्मानित हो सके। -कमलेश कमल, साहित्यकार
– साहित्यकारों के प्रति सम्मान बढऩा चाहिए। स्कूलों में पहले आध्यात्मिक शिक्षा भी दी जाती थी जो अब कम होती जा रही है। आज की पीढ़ी पुराने साहित्यकारों को भूल चुकी है। ऐसे में राज्य सरकार स्कूली स्तर के पाठ्यक्रम में प्राचीन साहित्यकारों और स्वतंत्रता सेनानियों को अधिक से अधिक स्थान देने का प्रयास करें। -जगदीशचंद्र मेहता, सेवानिवृत्त शिक्षाविद्
– प्रदेश में बिजली तंत्र के सुधार के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए। राज्य सरकार की ओर से परिवहन सहित कई टैक्स लगाए गए है उन्हें समाप्त किया जाना चाहिए। साथ ही युवा साहित्यकारों को लिखने के लिए प्रोत्साहन और सम्मान मिले इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे अपने रोजगार के साथ वह लेखन में भी रूचि दिखा सके। -तारेश दवे, युवा लेखक
– शिक्षा नीति में कई बदलाव होते रहे है, ऐसे में सरकार को स्कूली शिक्षा में साहित्य के विधानों को शामिल करना चाहिए। पर्यटन की दृष्टि से जिला काफी संभावनाओं से भरा है लेकिन इसके लिए बजट घोषणाएं सिर्फ कागजों में ही दब कर रह गई है। बजट में यहां के पर्यटन विकास की ओर जोर दिया जाना चाहिए। -उत्तम मेहता उत्तम, व्यवसायी

ट्रेंडिंग वीडियो