किसान और ई- मित्र केंद्र दोनों पर हो सकती है कार्रवाई : – गंगवार ने जिला कलक्टर को यह भी निर्देश दिए कि जिन ई-मित्रों द्वारा नियम विरुद्ध पंजीयन किया गया है उनके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाई अमल में लायी जाए। साथ ही यदि किसानों की भी इसमें संलिप्ता पाई जाती है तो उनके खिलाफ भी आवश्यक कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि समर्थन मूल्य खरीद में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाए तथा वास्तविक किसानों से खरीद हो यह भी सुनिश्चित किया जाए। जांच रिपोर्ट के बाद यह सुनिश्चित हो सकेगा कि ओ.टी.पी. से हुए पंजीयन में किसान अपने अगूंठे के आधार पर पंजीयन करवाने में सक्षम थे अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि जांच में सही पाये गये किसानों को ही तुलाई की दिनांक आवंटित की जायेगी एवं जो पंजीयन सही नहीं होंगे उन्हें निरस्त किया जाएगा।
ऐसे सामने आया मामला : – दरअसल, प्रमुख शासन सचिव सहकारिता नरेश पाल गंगवार ने जांच में पाया कि 8 जिलों बारां, चूरू, जैसलमेर, नागौर, जोधपुर, उदयपुर, दौसा एवं श्रीगंगानगर के 118 ई-मित्र केन्द्रों द्वारा आधार आधारित बायोमैट्रिक सत्यापन के स्थान पर ओटीपी के आधार पर पंजीयन किए गए, जिससे पंजीयन की सत्यतता पर संदेह उत्पन्न हुआ है। इस प्रकार से पंजीयन होना ई-मित्रों को दिये गये निर्देशों की अवहेलना की श्रेणी में है। इस पर कार्रवाई करते हुए गंगवार ने आठों जिला कलक्टर को पत्र लिखकर निर्देश दिये कि ओटीपी के आधार पर हुए पंजीयनों की एसडीएम व तहसीलदार स्तर के अधिकारी से खरीद शुरू होने से पूर्व जांच करवाकर राजफैड मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जाए, जिसके बाद ही उक्त मामलों में स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। गौरतलब है कि प्रदेश में मूंग, उड़द व सोयाबीन की 1 नवम्बर तथा मूंगफली की 7 नवम्बर से खरीद प्रस्तावित है।