एमबीसी के लिए भवन खाली करवाने के लिए फिलहाल कॉलोनीवासियों को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है। पर, अधिकारियों के दौरे के दौरान उठने वाली बातों और मकानों में निवासरत लोगों के सर्वे को लेकर उनकी नींद उड़ी हुई है। बांध निर्माण के साथ ही सेवारत कार्मिकों के लिए यहां आवास बनाए गए थे। सन 1974 से कई कार्मिक यहां विविध कॉलोनी में निवास करते आए हैं। कॉलोनीवासियों ने बताया कि माहीबांध से सेवानिवृत्त हो चुके कई तकनीकी कार्मिक यहां निवासरत हैं।
कॉलोनी में कई मकान खण्डर हो चुके हैं। आवास खाली होने के साथ ही समाजकंटक दरवाजे-खिड़कियां निकाल ले गए। जिन मकानों में लोग रह रहे हैं वही ठीक स्थिति में हैं। इसमें भी माही की ओर से रिपेयरिंग वर्क बंद होने के कारण लोगों ने अपने स्तर पर ही विभिन्न इंतजाम कर रखे हैंं। वहीं माना जा रहा है कि एमबीसी इन आवासों का उपयोग यदि करती भी है तो यह अवधि अधिक नहीं होगी, क्योंकि आवंटित भूमि पर इनके लिए अलग से निर्माण किया जाएगा। ऐसे में कॉलोनीवासियों का कहना है कि जो मकान खण्डर हो रहे हैंं उन्हें रिपेयर कर एमबीसी को दिए जाएं, जिससे उन्हें परेशान न होना पड़े। एमबीसी को आवंटित भूमि की पत्थरगढ़ी के साथ ही भूमि पर स्थित वृक्षों की भी गिनती कर टेग लगाए गए हैं। साथ ही अलग-अलग स्थानों पर दो से तीन सूचना एवं चेतावनी बोर्ड भी लगाए गए हैं।
फिलहाल एमबीसी से माहीडेम की आवासीय कॉलोनी संबंधित डिमांड नहीं आई है। यदि ऐसी कोई बात आती है तो विभागीय नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। कॉलोनी का पूरा रिकार्ड तैयार है।
निरंजन मीणा, एसई माही परियोजना
एमबीसी के लिए व्यापक स्तर पर निर्माण होना है। तुरंत वहां आवास की व्यवस्था संभव नहीं है। तब तक एमबीसी के कार्मिकों एवं अधिकारियों के लिए माही की आवासीय कॉलोनी किराये पर लेने के लिए मांग की जाएगी। इससे सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा और माही के आवासों का मेंटनेंस भी हो जाएगा। इसे लेकर जिला कलक्टर एवं माही के अधिकारियों से निवेदन किया है।
केसर सिंह शेखावत, एसपी बांसवाड़ा