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अंतिम संस्कार के लिए पिता का शव लेकर घंटों बैठी रही बेटी, लेकिन मदद के लिए कोई आगे नहीं आया..

locationबांसवाड़ाPublished: Jun 25, 2019 12:01:29 am

Submitted by:

abdul bari

बेटी उसका अंतिम संस्कार पैतृक गांव कुण्डा में करवाना चाहती थी। इसलिए वह शव कुंडा लाई, लेकिन यहां कालू के खिलाफ गांव में नाराजगी के चलते परेशानी आ गई।

against funeral in village

अंतिम संस्कार के लिए पिता का शव लेकर घंटों बैठी रही बेटी, लेकिन मदद के लिए कोई नहीं आया आगे..

बांसवाड़ा.
जिले के खमेरा क्षेत्र में सोमवार को एक बेटी को बुजुर्ग पिता का अंतिम संस्कार ( funeral ) गांव में इसलिए नहीं करने नहीं दिया गया कि मृतक हत्या का आरोपी था। गांव में अपनों से दुत्कार मिली तो बेटी अपने पिता के शव को लेकर सडक़ किनारे घंटों तक बैठी रही। इस बीच लोग तमाशबीन बने रहे और मदद के लिए किसी ने हाथ आगे नहीं आया।
यह मामला रूपा पुत्री कालू मईड़ा के साथ हुआ। खमेरा थाना इलाके के कुंडा निवासी उसके पिता कालू (60) पुत्र बदिया मईड़ा उदयपुर में सडक़ हादसे में घायल होने पर उदयपुर में उपचाररत थे। वहां हालत में सुधार नहीं होने पर कालू को हॉस्पीटल से छुट्टी दे दी गई, तो कालू के बेटा नहीं होने से बेटी रूपा अपने पति जीवा उसे रमली के घर लेकर आई। सोमवार सुबह कालू की मौत हो गई।

बेटी उसका अंतिम संस्कार पैतृक गांव कुण्डा में करवाना चाहती थी। इसलिए वह शव कुंडा लाई, लेकिन यहां कालू के खिलाफ गांव में नाराजगी के चलते परेशानी आ गई। कालू पर अपने ही भाई रावजी पुत्र बेदिया की पुत्रवधू की हत्या का आरोप था। इसके चलते वह पांच साल की जेल भी काटकर आया। इस मामले को लेकर गांव से कालू को बहिष्कृत किया हुआ था, जिसके चलते वह गांव नहीं आ रहा था और कई वर्षों से उदयपुर में मजदूरी कर रह रहा था।

रात नौ बजे हो पाई अंत्येष्टि

शव गांव में पहुंचने पर विवाद के अंदेशे के चलते रूपा पहले पुलिस के पास गई, लेकिन वहां से संतोषपूर्ण जवाब नहीं मिला। तब वह पिता के शव को थाने के पास ही सडक़ किनारे लेकर बैठ गई। करीब पांच घंटे तक शव वहीं पड़ा रहा। इसके बाद डीएसपी, सीआई एवं तहसीलदार, सरपंच सहित अन्य लोगों ने ग्रामीणों को थाने बुलाया और फिर घंटों तक समझाइश की। इसके बाद ग्रामीण शव को अंतिम संस्कार गांव में करवाने के लिए तैयार हुए। रात करीब नौ बजे बुजुर्ग का अंतिम संस्कार कुंडा में किया जा सका।
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