बेटी उसका अंतिम संस्कार पैतृक गांव कुण्डा में करवाना चाहती थी। इसलिए वह शव कुंडा लाई, लेकिन यहां कालू के खिलाफ गांव में नाराजगी के चलते परेशानी आ गई। कालू पर अपने ही भाई रावजी पुत्र बेदिया की पुत्रवधू की हत्या का आरोप था। इसके चलते वह पांच साल की जेल भी काटकर आया। इस मामले को लेकर गांव से कालू को बहिष्कृत किया हुआ था, जिसके चलते वह गांव नहीं आ रहा था और कई वर्षों से उदयपुर में मजदूरी कर रह रहा था।
रात नौ बजे हो पाई अंत्येष्टि शव गांव में पहुंचने पर विवाद के अंदेशे के चलते रूपा पहले पुलिस के पास गई, लेकिन वहां से संतोषपूर्ण जवाब नहीं मिला। तब वह पिता के शव को थाने के पास ही सडक़ किनारे लेकर बैठ गई। करीब पांच घंटे तक शव वहीं पड़ा रहा। इसके बाद डीएसपी, सीआई एवं तहसीलदार, सरपंच सहित अन्य लोगों ने ग्रामीणों को थाने बुलाया और फिर घंटों तक समझाइश की। इसके बाद ग्रामीण शव को अंतिम संस्कार गांव में करवाने के लिए तैयार हुए। रात करीब नौ बजे बुजुर्ग का अंतिम संस्कार कुंडा में किया जा सका।