मुनि का गृहस्थ नाम- शंकरलाल वोरा
पिता का नाम – चुन्नीलाल वोरा
माता का नाम – गमीरी देवी
पत्नी- प्यारी देवी
निवास -भीमपुर
दीक्षा दिवस 17 फरवरी 2001
दीक्षा गुरु अभिनंदन सागर महाराज
समाधि लोहारिया
जैन धर्म में संल्लेखना का विशेष महत्व है। यह मृत्यु महोत्सव माना जाता है। जैन मुनि को 28 मूलगुणों का पालन करना होता है लेकिन जब वह अथवा उनका शरीर इन मूलगुणों के पालन में असमर्थ हो जाता है तो वह इच्छापूर्वक संल्लेखना समाधि ग्रहण कर शरीर का त्याग करते है।