सुबह का समय होने से सडक़ पर सरकारी विद्यालयों के छात्र छात्राएं एवं संगोली मंदिर जाने वाले श्रद्धालु व किसान पैदल जा रहे थे। बस चालक ने आवाज लगाकर और बच्चों की चीख पुकार सुनकर लोग दौडकऱ आए और उन्होंने बस के शीशे तोडकऱ घायल विद्यार्थियों को बाहर निकाला और निजी साधनों से बांसवाड़ा स्थित महात्मा गांधी अस्पताल सहित अन्य चिकित्सालयों में पहुंचाया।
अभिभावकों का आरोप है कि यह बस पिछले दिनों से खराब थी। ओड़वालिया गांव के छात्रों के अभिभावकों ने बताया कि स्कूल प्रशासन से नई बस लगाने एवं सीधे रूट से बच्चों को स्कूल ले जाने की मांग कर चुके हैं। बस सोमवार सुबह करीब पौने आठ बजे मुंगाणा गांव में पलट गई। इधर, स्कूल प्रबंधन का कहना है कि बस में 6 से सात बच्चे ही थे, जिन्हें हल्की चोंट आई है। अभिभावकों के आरोप निराधार है। थाना प्रभारी ने बताया कि मामले में अभी तक कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।
स्कूल बसों के हादसे का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई हादसे सामने आए हैं जहां बच्चों को गंभीर चोट लगी है। इसके बावजूद चालक परिचालक एवं स्कूल प्रबंधन की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे बच्चे हादसे का शिकार हो रहे हंै। जानकारों के अनुसार समय पर वाहनों का फिटनेस नहीं होने तथा कुशल चालक परिचालक नहीं होने की वजह से इस तरह के हादसों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
सुबह का समय होने से सडक़ पर सरकारी विद्यालयों के छात्र छात्राएं एवं संगोली मंदिर जाने वाले श्रद्धालु व किसान पैदल जा रहे थे। बस चालक ने आवाज लगाकर लोगों को सडक़ से दूर हटने को कहा लेकिन आवाज किसी ने नहीं सुनी। इस बीच बस सडक़ के पास स्थित पेड़ से जा टकराई और पलट गई। इससे राहगीर बच गए।