छात्रा का अपहरण होने से पीडि़ता अपनी 10वीं की परीक्षा नहीं दे पाई थी। इसके आगे की पढ़ाई भी इसी कारण नहीं कर पाई। वहीं कोर्ट ने प्रतिकार स्कीम के तहत मुआवजा देने के लिए भी विधिक सेवा सहायता को लिखा है। बिछीवाड़ा की तत्कालीन पुलिस की भी इस प्रकरण में लापरवाही सामने आई। परिजनों ने पुलिस को रिपोर्ट दी थी और बताया था कि घटना के चार दिन पहले ही आरोपी ने स्कूल में जाकर पीडि़ता को धमकाया था। फिर भी रिपोर्ट दर्ज नहीं की। बाद में एसपी को परिवाद और आखिर में कोर्ट में इस्तागासा दाखिल किया, तब जाकर 40 दिन बाद मामला दर्ज किया गया।