संस्कृत शिक्षा विभाग ने बांसवाड़ा जिला मुख्यालय पर संस्कृत बीएसटीसी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान सृजित करने की प्रशासनिक स्वीकृति 2017 में दी थी। इसके बाद संस्कृत शिक्षा निदेशालय के तत्कालीन निदेशक विमल कुमार जैन ने वित्तीय आकलन के लिए एनसीटीई के निर्धारित मापदंड अनुसार आवश्यक भूमि को लेकर भी कवायद भी शुरू की। संस्थान के लिए २५०० वर्ग मीटर भूमि की आवश्यकता को देखते हुए निदेशक ने शिक्षा विभाग के उप शासन सचिव को इस बारे में पत्र लिखा, जिसमें राज्य सरकार के माध्यम से जिला कलक्टर को संस्था को आवश्यक भूमि आवंटित कराने के लिए वांछित पत्र जारी करने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बाद मामला फाइलों में दफन हो गया।अधिकारियों को नहीं अता-पतासंस्कृत बीएसटीसी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान की मंजूरी को लेकर विभाग में अधिकारी स्तर भी लापरवाही बरती जा रही है। उदयपुर संभाग के संभागीय संस्कृत अधिकारी ने मामले में उत्तर देने के लिए स्वयं को अधिकृत नहीं बताया। वहीं अतिरिक्त निदेशक मुरारीलाल राव ने कहा कि पुराना मामला है। इसमें पत्रावलियां उच्चाधिकारियों को भेजी भी थी, लेकिन आगे क्या प्रोसेस हुआ, इस बारे में पत्रावली देखकर ही बताया जा सकता है। विद्यार्थियों की बड़ी संख्याबांसवाड़ा जिले में संस्कृत शिक्षा को लेकर उत्साहजनक वातावरण है। यहां गनोड़ा में संस्कृत का राजकीय महाविद्यालय हैं तो जिले में 50 से अधिक संस्कृत के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं। प्रवेशिका और वरिष्ठ उपाध्याय की परीक्षा में भी जिले में हजारों विद्यार्थी सम्मिलित होते हैं। हालांकि विद्यालयों में रिक्त पदों की समस्या है, लेकिन बीएसटीसी संस्थान खुलने से यहां के विद्यार्थियों के लिए नई राह प्रशस्त होती।