इन बैठकों में उपस्थित रहे ग्रामीणों को बताया कि 2200 रुपए जमा कराने पर एक लाख पांच हजार का सरकार से ऋण मिल जाएगा। ऋण मिलने में अधिक समय नहीं लगने और सात फरवरी तक राशि देने वाले लोगों के बैंक खातों में ऑनलाइन राशि का भुगतान होने का झांसा दिया। ग्रामीण इस झांसे में आ गए और उन्होंने अपने आधार कार्ड, राशन कार्ड, फोटो सहित अन्य दस्तावेज भी उपलब्ध करा दिए। इस तरह आरोपितों ने करीब एक दर्जन गांवों में करीब छह सौ लोगों से 2200-2200 रुपए ऐंठ लिए।
किसी को भनक तक नहीं आरोपितों ने राशि ऐंठने की ऐसी तरकीब लगाई कि किसी को भनक तक नहीं लगी। उन्होंने
मंदिर परिसरों में हर सात दिन में बैठक की। खुद को बैंक अधिकारी भी बताया और बैठकों में हर बार अलग-अलग वाहन से पहुंचे, ताकि कोई इनके नंबर याद नहीं रख पाए। ग्रामीण इलाके में प्रचार-प्रसार भी किए गए।
यूं खुला राज पीडि़तों ने बताया कि आरोपित बैठक में ऋण की राशि सीधे खातों में आने की बात कहते थे। राशि जमा कराने के बाद उन्हें सात फरवरी की तारीख दी गई। सात फरवरी को जब बैंक खाते को चैक किया तो उन्हें कुछ नही मिला। आरोपित की ओर से दिए गए नंबर पर कॉल किया तो फोन बंद पाया। राशि देने वाले लोगों ने आपबीती एक-दूसरे को बताई, तब उन्हें माजरा समझ में आया।
इन गांवों के लोगों से ऐंठी राशि ग्रामीणों ने अनुसार आरोपित ने कुण्डल, वीरपुर, घोड़ी, गागरवा, भमेड़ी, खजूरी, चन्द्रोल, डूंगरा, घोड़ीतेजपुर, लिलिया, बारी सहित अन्य गांवों में ठगी की वारदात को अंजाम दिया है।