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बांसवाड़ा : हमारे खाद्यान्न की पड़ोसी राज्य में तस्करी, राजस्व की चपत, किसान बेखबर

locationबांसवाड़ाPublished: Sep 15, 2018 12:39:49 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

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बांसवाड़ा : हमारे खाद्यान्न की पड़ोसी राज्य में तस्करी, राजस्व की चपत, किसान बेखबर

बांसवाड़ा. कृषि उपज मण्डी समिति बांसवाड़ा के बंद रहने से किसानों को नुकसान एवं राजस्व लक्ष्य तो गड़बड़ा ही रहा है। साथ में खाद्यान्न तस्करी को भी बल मिल रहा है। कतिपय व्यापारी देहात में किसानों से औने-पौने दामों में सोयाबीन, गेहूं एवं मक्का की खरीद करते हंै। इसके बाद टनों में भण्डारण हो जाने पर उसे चोरी-छिपे पड़ोसी राज्य गुजरात एवं मध्य प्रदेश में भिजवा रहे हंै। इस दरम्यान अगर कृषि जींसों से भरा हुआ ट्रक पकड़ में आ गया तो उस पर जुर्माना लगाकर राजस्व वसूल लिया अन्यथा ट्रक पकड़ में नहीं आया तो मोटी कमाई सीधी जेब में पहुंचती है। कहने को तो बॉर्डर पर चुंगी नाके लगे हुए हैं, लेकिन जिले से ऐसे कई रास्ते पड़ोसी राज्यों में जा रहे हैं जहां किसी प्रकार की चेक पोस्ट नहीं है। ऐसे में ये वाहन चोरी छिपे आराम से बाँर्डर पार हो रहे हैं। इसमें व्यापारी मण्डी एवं अन्य टैक्स की चोरी कर रहे है। साथ में उसको माल की अच्छी कीमत का भी फायदा मिल रहा है। ऐसे में व्यापरी को डबल फायदा पहुंचता है।
वर्ष 2004 में चेक पोस्ट इसलिए ही लगाई
विभाग के अधिकृत सूत्रों के अनुसार बांसवाड़ा का व्यापार मण्डी परिसर में स्थानांतरित नहीं है। इसलिए व्यापारी सीधा किसान से माल खरीदकर रात्रि में विभिन्न सााधनों से अलग-अलग मार्गों से गुजरात एवं मध्य प्रदेश ले जाते हंैं। कृषि जीसों को ले जाने वाले वाहनों से सीमा पर स्थित चेक पोस्टों पर बिल एवं बिल्टी, निर्यात प्रतिवेदन की एक प्रति प्राप्त करने की आवश्यकता महसूस किए जाने पर मण्डी समिति ने निदेशालय से अनुमोदन करवाया। इसके साथ ही 26 मार्च 2004 को जिले की सभी चेक पोस्टों पर सेल्स टैक्स, मण्डी राजस्व व कृषि विभाग के कर्मियों को लगाया गया। साथ ही सुनिश्चित किया गया कि चेक पोस्टों से ले जाने वाले सभी वाहनों से मण्डी समिति का गेट पास प्राप्त हो जाए। इससे वाणिज्य कर व मण्डी शुल्क चोरी की संभावना समाप्त हो जाए। गेट पास लागू किए जाने से मण्डी शुल्क में वृद्धि हुई, लेकिन व्यापारियों की ओर से इस व्यवस्था का विरोध किए जाने के कारण इस व्यवस्था को वापस लेना पड़ा।
मण्डी के 700लाइसेंसी
मण्डी सचिव संजीव पण्ड्या ने बताया कि मण्डी के जिलेभर में करीब 700 लाइसेंसी पंजीकृत हैं। इनमें से करीब 150 व्यापारी सक्रिय है, जिनकी ओर से लगातार कृषि जींस का व्यापार किया जाता है। इसके अलावा मण्डी टैक्स एवं अन्य कर चुकाए जाते हैं।
ये प्रमुख जिंस
बांसवाड़ा में मुख्य रूप से कृषि जींसों में गेहूं, सोयाबीन व मक्का की पैदावार होती है। इसके अलावा छोटे स्तर पर कपास व अन्य फसल है। यहां को ज्यादार माल गुजरात, मध्य प्रदेश के अलावा प्रदेश के कोटा, बूंदी एवं अन्य जिलों में जाता है।
व्यापार बढ़ा तो मण्डी शुल्क भी बढ़ा
जानकारी के अनुसार ज्यों ज्यो साल गुजरते गए जिले में बुवाई के हैक्टेयर बढऩे के साथ ही पैदावार बढ़ी तो व्यापार बढ़ता चला गया। वर्ष 1990-91 में करीब मण्डी शुल्क के रूप में करीब 14.16 लाख का राजस्व प्राप्त हुआ था जो अब बढकऱ गत वर्ष 2017-18 में करीब 233.70 लाख तक पहुंच गया है।
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