scriptपत्रिका से विशेष बातचीत में मुनि प्रतीकसागर ने कहा- ‘जम्मू-कश्मीर में 370 हटाना साहसी और स्वागत योग्य कदम’ | Special talk with Jain Muni Prateek Sagar In Banswara | Patrika News

पत्रिका से विशेष बातचीत में मुनि प्रतीकसागर ने कहा- ‘जम्मू-कश्मीर में 370 हटाना साहसी और स्वागत योग्य कदम’

locationबांसवाड़ाPublished: Sep 28, 2019 02:47:21 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

Article 370 In Jammu Kashmir, Jain Muni Pratik Sagar Maharaj : ‘जम्मू कश्मीर में शिक्षा और रोजगार को मिले प्राथमिकता’

पत्रिका से विशेष बातचीत में मुनि प्रतीकसागर ने कहा- 'जम्मू-कश्मीर में 370 हटाना साहसी और स्वागत योग्य कदम'

पत्रिका से विशेष बातचीत में मुनि प्रतीकसागर ने कहा- ‘जम्मू-कश्मीर में 370 हटाना साहसी और स्वागत योग्य कदम’

बांसवाड़ा. शहर की बाहुबली कॉलोनी में चातुर्मास पर प्रवासरत मुनि प्रतीकसागर का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अब सरकार को वहां शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र को प्राथमिकता देनी चाहिए। मुनि ने शुक्रवार को राजस्थान पत्रिका से बातचीत में कश्मीर से जुड़े सवाल के जवाब में यह बात कही। मुनि ने आरक्षण, युवा पीढ़ी की दशा और दिशा, महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध और संतों का समाज के प्रति दायित्व सहित विभिन्न ज्वलंत विषयों पर सवालों के बेबाकी से जवाब दिए।। पेश है मुनि से सवाल जवाब के अंश:
सवाल : जम्मू एण्ड कश्मीर में सरकार के अब क्या कदम हो : – जवाब : जम्मू एण्ड कश्मीर से आर्र्टिकल 370 हटाने के फैसले पर मुनि ने कहा कि यह देश को एक करने का कार्य है। पीएम नरेन्द्र मोदी का स्वागत योग्य साहसी कदम है। पीएम का इसके लिए अभिनंदन। अब वहां सरकार को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र को प्राथमिकता देनी चाहिए। वहां के हर वर्ग को मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार को इन दो बातों पर विशेष फोकस करना चाहिए।
सवाल : देश में वर्तमान आरक्षण व्यवस्था कितनी उचित है : – जवाब : विविधता में एकता भारत देश की पहचान रही है। भारत में विभिन्न धर्म, समाजों के लोग रहते हंै और वे अपनी-अपनी संस्कृति, व्रत-त्योहार मनाते रहे हैं। हर वर्ग के व्यक्ति को आगे बढऩे, विकसित होने का हक है। वर्तमान आरक्षण व्यवस्था पर विचार होना चाहिए और योग्यताधारियों को भी लाभ मिले ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
सवाल : वर्तमान परिपेक्ष्य में युवा पीढ़ी का भटकाव कैसे रुके : – जवाब : मुनि ने उदाहरण के साथ समझाया कि घर में बूढ़ा पेड़ हो तो उसे हटाना नहीं चाहिए। वह फल नहीं तो कम से कम छाया तो देगा ही। वर्तमान में एकल परिवार व्यवस्था ने संयुक्त परिवार के संस्कारों को भुला दिया। बालक के लिए बुजुर्ग ही संस्कारों की पाठशाला होते हैं, लेकिन आज बुजुर्गों को वृद्धाश्रम दिखाया जा रहा है, जिससे युवा पीढ़ी संस्कारविहीन होकर भटकाव की राह पर है।
सवाल : महिलाओं के साथ बढ़ते अपराध कैसे रुके : – जवाब : नारी का सम्मान सर्वोपरि है, पर इसमें सबसे अधिक भूमिका नारी की ही होनी चाहिए। आज पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में तन दिखते वस्त्रों को मुख्य पहनावा बना लिया है जबकि भारतीय संस्कृति के परिधानों को महत्व दिया जाना चाहिए। वस्त्र तन को ढंकने के लिए पहने जाते हैं, न कि दिखावे के लिए। लज्जा नारी का सबसे बड़ा गहना होता है। हर समाज को महिलाओं के पहनावे पर गौर करना होगा।
सवाल : स्वच्छ राजनीति और संतों का समाज के प्रति दायित्व : – जवाब : संत समाज का दर्पण होते हैं। किसी एक पेड़ में बहुत से फल लगे हो और उनमें से एक खराब हो गया तो पूरे फल खराब नहीं माने जाते। इसी प्रकार संत समाज में भी कुछ संतों के गलत कार्यों से इस प्रकार की धारणाएं एवं चर्चाएं जग जाहिर होती हैं। साधना जीवन में संत को मर्यादा रूपी लक्ष्मण रेखा को नहीं तोडऩा चाहिए।

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