यहां छोटी चद्दरें और वार्ड में व्हील चेयर देखकर उन्होंने हटवाने को कहा। बाद में मेल-फिमेल के वॉश रूम के बाहर संकेतक अस्पष्ट देखकर उन्होंने दिशा- निर्देश दिए और सीधे निशुल्क दवा वितरण केंद्र पर पहुंच गए। यहां सलीके से जमाई दवाइयां देखने के बाद वे प्रयोगशाला की ओर बढ़े। यहां लैब के बाजू में रजिस्ट्रेशन और नमूने लेने के कक्ष में उन्हें प्लेटफार्म पर टब में प्रयुक्त हो चुकी सीरींंजों का ढेर मिला, तो उन्होंने हिदायतें दी। ्रफिर वे सीधे गायनिक वार्ड की तरफ चल दिए। केप-मास्क लगाने के बाद यहां लेबर रूम में जाने पर उन्होंने गीला फर्श और दुर्गंध पाकर सवाल किया। बाद में निकलते हुए उन्होंने सुधार पर संतोष जताया और बेहतर प्रबंध कराने के निर्देश दिए। करीब आधे घंटे के मूल्यांकन के दौरान उनके साथ पीएमओ डॉ. अनिल भाटी, हैल्थ मैनेजर डॉ. हेमलता जैन के अलावा स्टाफ सदस्य रहे।
छूट गए कई पहलू, चिकित्सा व्यवस्थाओं की बदहाली को टाला
मूल्यांकन के दौरान हॉस्पीटल अपकिप, इन्फेक्शन कंट्रोल और सेनीटेशन और हाइजिन पर नोडल अधिकारी का फोकस रहा लेकिन सपोर्ट सर्विसेज, हाइजिन प्रमोशन और वेस्ट मैनेजमेंट एरिया को भुला दिया गया। इसके अलावा अवलोकन में रिकॉर्ड रिव्यू और स्टाफ के साथ रोगियों से सम्पर्क भी गौण हो गया। इसके चलते चिकित्सा सेवाएं हासिल करने में रोगियों को आ रही बाधाएं दबी रह गईं।
मेडिकल वेस्ट के ढेर कर रहे अनदेखी की चुगली
बांसवाड़ा. कायाकल्प की प्रगति बताने शुक्रवार को एमजी अस्पताल के अहाते, वार्ड चकाचक करके भले ही बताए गए, लेकिन यहां परिसर में जगह-जगह लगे मेडिकल वेस्ट के ढेर प्रबंधन की लापरवाही को उजागर कर रहे हैं। कायाकल्प की गतिविधियों में सबसे अहम् बिंदु संक्रमण नियंत्रण के उपाय सुनिश्चित करना और वेस्ट मैनेजमेंट के हैं, लेकिन इन्हें तवज्जो नहीं मिली। नतीजे में प्रयुक्त हो चुकी सीरींंजों के ढेर मुर्दाघर के पास नाले के करीब और सडक़ किनारे जहां-तहां देखे गए। ताज्जुब यह भी रहा कि अस्पताल स्टाफ खुद मेडिकल वेस्ट को लेकर गंभीर नहीं दिखा। इसकी बानगी पार्र्किंग क्षेत्र में कचरे के डिब्बे पड़ी सीरींजों और खून से सनी पट्टियों से दिखलाई दी।
दूसरी ओर, चिकित्सा अधिकारियों ने सपोर्ट सर्विसेज की बदहाली की भी अनदेखी की। इसकी चुगली ट्रोमा वार्ड में नाकारा पड़ी डिफिब्रिलेटर मशीन ने की। हृदय गति बंद होने पर सीमित करंट की मदद से मरीज को उबारने वाली इस मशीन का अमूमन डॉक्टर ही इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यहां इसे लंबे समय से काम ही नहीं लिया गया और नुमाइश की चीज बनी हुई है। इस बारे में चर्चा पर डॉक्टरों ने चिकित्सा व्यवस्थाओं की खामियों में सुधार को कायाकल्प की गतिविधियों के बजाय क्वालिटी एश्योरेंस का बिंदु मानकर परे रखा।